
-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर एवं ख्यातनाम फोटोग्राफर)
40 वर्ष पूर्व वनरक्षक साधन विहीन होने के बाद भी जंगल में नौकरी करता था। वन और वन्य जीवों की देखरेख के लिए सायकिल से गश्त करता था। उसे जितना डर जंगली जानवरों से नहीं होता उतना अवैध कार्य करने वालों यानी अवैध खनन, वन्य जीवों के शिकारियों और अवैध लकडी कटाई तथा मवेशी चराने वालों से होता था। रख रखाव के अभाव में क्लोजर जगह जगह से टूट होते थे। पेडो की अवैध कटाई करने के लिए कम से कम दर्जन भर दबंग आते और पेड़ काट कर ले जाते।
इसी प्रकार जीप व जिप्सियों में शिकारी आते और वन्य जीवों का शिकार कर ले जाते। इनके पास घातक हथियार होता जिनका मुकाबला वन रक्षक को केवल लाठी के सहारे करना होता था। वन में अंधेरा रहता, कहीं भी बिजली की व्यवस्था नहीं थी। जंगल के एक नाके पर रात में दो तो दिन में दो वन रक्षकों की ड्यूटी होती।

उन्हें महीने में एक बार घर आने का मौका मिलता। वह भी वेतन मिलने पर आते और तनख्वाह पत्नी और परिजनों को सौंप देते। अगर ऑफिस में कोई कार्य होता तो विभागीय कर्मचारी भी इन्हें भाव नहीं देते थे। यह है एक कर्तव्यनिष्ठ वनकर्मी की गाथा। जो वनकर्मी बेईमान होते थे और खनन या अवैध कार्य करने वाले माफिया से मिले होते उनका हफ्ता बंधा होता था। उन्हें अवैध कार्य करने की छूट होती थी। शिकारियों की मदद करत्ते जोलोग शराब का शौक रखते उनसे बोतले ले लिया करते थे।

आज सब कुछ बदल गया है। सोलर से रोशनी है। मोटर साइकिलों से गश्त है दीवारें पक्की करवा दी गई हैं। उन पर बेरियर लगे हैं। नई चौकियां बन गई हैं। आज का वन कर्मी हर सप्ताह शहर में आ सकता है। यातायात के साधन हैं मोबाइल व गश्ती गाड़ियां है। जंगल भी पहले के मुकाबले सुरक्षित हैं और वन्य जीव भी। यही कारण है हमारे जंगलों में वन्य जीवों की संख्या बढ़ने लगी है। जंगल सफारी चालू होने से अवैध कार्याे पर रोक का लाभ मिलेगा। अवैध चराई बड़ी समस्या है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)