
रेमेडिएशन कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों का आंकलन
राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम के तहत संचालित रेमेडिएशन कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों का आंकलन करने के लिए शिक्षा विभाग ने समय सारिणी की घोषणा की है। शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों तथा मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे निर्देश में तय समय सारिणी के अनुसार आकलन करने के लिए कहा है। अगर इसमें किसी संस्था प्रधान अथवा अन्य शिक्षक ने कोई लापरवाही बरती, तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। यह आंकलन कक्षा तीन से आठ तक के विद्यार्थियों का किया जाएगा।
17 दिसंबर से आकलन शुरू होगा, जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इस अवधि में अलग-अलग विषयों का आंकलन किया जाएगा। कक्षा 6 से 8 तक के स्तर के आकलन में गणित, हिंदी व अंग्रेजी के ए ग्रेड की परीक्षा 40 अंकों की विद्यालय स्तर पर होगी। कक्षा 3 से 5 तक कला स्तर पर पर्यावरण विज्ञान,गणित, हिंदी तथा अंग्रेजी के ए ग्रेड की परीक्षा विद्यालय स्तर पर होगी। जबकि कक्षा एक और दो तथा कक्षा 9 से 12 का आकलन विद्यालय स्तर पर सभी विषयों का पूर्व सत्रों की भांति होगा।
शिक्षा अधिकारियों से रिक्त पदों की जानकारी देने को कहा
घंटे के अनुसार पढ़ाने की योजना (विद्या संबल) को आगामी आदेश तक स्थगित करने के बाद अब शिक्षा विभाग की आंख खुली है। विभाग राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से शिक्षकों के रिक्त पदों की सूचना संकलन करने में लग गया है। जब विभाग ने इस योजना के तहत दो नवंबर से आवेदन मांगने शुरू किए थे, तब गाइडलाइन की सारी शर्तों का भार संबंधित स्कूलों के प्रधानों पर डाल दिया था। उस वक्त किस विषय के कितने शिक्षकों के पद रिक्त हैं, इसे लेकर न तो विभाग ने और न ही स्कूल वालों ने कोई पुख्ता सूचना चस्पा की। इस वजह से अभ्यर्थियों को अपने स्तर पर ही रिक्त पदों की तलाश करनी पड़ी थी। इतना ही नहीं, इस योजना की गाइडलाइन में यह भी उल्लेख नहीं था कि कितने पद आरक्षण प्रावधान से भरे जाएंगे और राजस्थान के बाहर के अभ्यर्थियों के लिए इसमें आवेदन करने की छूट होगी। अब जब इस योजना को आगामी आदेश तक स्थगित करने की घोषणा की गई है, तो विभाग के अधिकारियों को इसमें कई कमियां नजर आने लगी हैं।
गौरतलब है कि इस योजना में बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थी भी प्रति घंटा काम करने के लिए तैयार हो गए थे। नतीजे में एक-एक पद पर सात सौ से लेकर एक हजार तक के आवेदन जमा हो गए। एक-एक अभ्यर्थी ने एक से अधिक स्कूलों में आवेदन जमा कराने के लिए हाथ-पैर मारे और दस्तावेजों की फोटो कॉपी कराने के लिए राशि भी खर्च की। साथ ही चरित्र प्रमाण पत्र पर किसी राजपत्रित अधिकारी के हस्ताक्षर कराने के लिए इधर से उधर भटके भी। गौरतलब है कि विभाग ने करीब 90 हजार पद रिक्त बताए थे। इनमें प्रथम से लेकर तृतीय श्रेणी तक के शिक्षक व प्रयोगशाला सहायक के पद शामिल थे। अब विभाग के अधिकारी प्रदेश के स्कूलों से विभिन्न विषयों के शिक्षकों के रिक्त पदों की सही-सही जानकारी मांग रहे हैं, ताकि जब इस योजना को वापस लागू करें, तो आरक्षण प्रावधानों समेत दूसरी खामियों का ध्यान रखा जाए।