किसानों की उन्नति बिना देश के विकास का सपना नही होगा साकार

देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। किसान खुशहाल होगा तभी देश में उन्नति आयेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा है कि हर जिले में किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुना जाकर आये गये सुझावों के आधार पर नीतियों का निर्माण किया जाये इसी उद्देश्य को लेकर जिलों में किसान संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है

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किसान संवाद कार्यक्रम में सुझाव देता किसान।

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। भारत जैसा देश जिसकी अर्थव्यवस्था का मूल आधार ही कृषि तंत्र के उन्नयन से जुड़ा हुआ हो, यदि वहां किसानों की उन्नति नहीं होती है तो देश की उन्नति-प्रगति की कल्पना करना भी व्यर्थ है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रदेश भर में जाकर किसानों से सुझाव मांगे जा रहे हैं जिन्हें मूल भावना के अनुरूप संपादित कर अगले महीने राज्य सरकार को भेजा जाएगा ताकि किसानों की आमदनी बढ़ाने के,उनकी खुशहाली लाने के उपाय किए जा सके।

राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला ने राजस्थान के कोटा में आयोजित एक कार्यक्रम में यह विचार व्यक्त करते हुये कहा कि किसानों की प्रगति और उनकी आर्थिक हितों के संवर्धन को ध्यान में रखते हुए योजनाओं पर अमल किया जाना चाहिए वरना इन योजनाओं की उपादेयता ही नहीं रह जाएगी। श्री खण्डेला ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की समस्याओं का समय पर समाधान कर आमदनी बढाने के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य कर रही है। पहली बार कृषि एवं किसानों के लिए अलग से बजट लाकर आमदनी बढाने का कार्य किया है।

श्री खण्डेला ने किसान संवाद कार्यक्रम में उपस्थित कोटा जिले भर के किसानों को संबोधित करते हुये कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। किसान खुशहाल होगा तभी देश में उन्नति आयेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा है कि हर जिले में किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुना जाकर आये गये सुझावों के आधार पर नीतियों का निर्माण किया जाये इसी उद्देश्य को लेकर जिलों में किसान संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। प्रदेश सरकार ने गत वित्तीय वर्ष से पहली बार खेती एवं किसान पर केन्द्रित अलग से कृषि बजट पेश किया गया है। इससे किसानों की आमदनी बढने के साथ कृषि सुविधाओं में विस्तार हुुुुआ है।

श्री खण्डेला ने कहा कि राजस्थान कृषि एवं पशुपालन की दृष्टि से समृद्ध बने इसी उद्देश्य के साथ किसानों की समस्याओं का निराकरण कराया जायेगा। किसानों और खेतों तक नई तकनीकी की जानकारी पहुंचे तथा कृषि उपज से किसानों की आमदनी बढें, यह आयोग की मंशा है। किसानों से संवाद में जो भी समस्याऐं एवं सुझाव आयेंगे उनको दिसम्बर माह में एकजाई कर राज्य सरकार को प्रेषित की जायेगी।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अभय कुमार व्यास ने कहा कि किसानों को खेती के विविधिकरण की ओर जाना होगा, तभी खेती की लागत को कम किया जा सकता है। कृषि उपज की प्रस्ंसकरण एवं वैल्यू एडीशन से किसान स्थानीय स्तर पर आमदनी बढाने के लिए कार्य करें तो अच्छे परिणाम सामने आयेंगे।

किसान संवाद कार्यक्रम में उपस्थित जागरूक किसानों ने भी आगे बढ़कर किसानों के उन्नयन के लिए कई सुझाव दिये और कहा कि सरकारों को इस पर मंथन करना चाहिये ताकि खेती-किसानी की प्रगति हो सके। नियमों की जटिलताओं पर किसानों ने सुझाव दिया कि फसल बीमा योजना का क्लेम मिलते समय नियमों का सरलीकरण किया जाए। बागवानी की उपज के लिए भण्डारण व वैल्यू एडीशन की व्यवस्था हो। कृषि उपकरणों को जीएसटी फ्री किया जाए, कृषि उपज मण्डियों का विस्तार किया जाए। जैविक उपज के प्रमाणीकरण के लिए जिला स्तर पर व्यवस्थाएं की जाए।

साथ ही यह भी सुझाव आया कि गौशाला के उत्पादों की लाईसेंस प्रक्रिया सरलीकरण हो। किसान की परिभाषा तय कर उन्हें लाभान्वित किया जाए। गांवों में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए ऋण व्यवस्था की जाए। जंगली पशुओं की रोकथाम के उपाय हो। समर्थन मूल्य वर्षभर लागू रहे तथा नरेगा मजदूरों को खेती में कार्य करने के लिए भी अधिकृत किया जाए। भूसा संग्रहण के भण्डारण निर्माण के लिए अनुदान की व्यवस्था की जाए। कृषि विश्वविद्यालय में डेयरी तकनीकी के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए।

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