मानसून की विदाई के बाद हुई वर्षा से फसलों में भारी खराबा,अभी सर्वे तक नही

कोटा संभाग में मानसून की विदाई के बाद बीते दो दिनों में हुई बरसात के कारण खरीफ़ के कृषि सत्र की सोयाबीन,धान और उड़द की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है क्योंकि संभाग में ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में सोयाबीन की फसल कट चुकी है और खेत-खलियानों में पड़ी है जबकि धान की फसल कटने को तैयार है। इस बरसात से खरीफ़ की इन दोनों मुख्य फ़सलों के अलावा दलहनी फसल उड़द को भी काफी नुकसान पहुंचने की आशंका है।

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बारिश से खराब हुई फसल

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा संभाग में पिछले दो दिनों में हुई बरसात ने खरीफ की फसल को व्यापक नुकसान पहुचाया है। कोटा संभाग के चारों जिलों में से बारां जिले में सबसे अधिक दो दिन की बरसात के कारण वहां सबसे अधिक खराबा का अनुमान है। किसानों ने राज्य सरकार से फसली नुकसान का आकलन करवाकर नुकसान के अनुरूप मुआवजा दिलवाने की मांग की है।

कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा संभाग में मानसून की विदाई के बाद बीते दो दिनों में हुई बरसात के कारण खरीफ़ के कृषि सत्र की सोयाबीन,धान और उड़द की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है क्योंकि संभाग में ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में सोयाबीन की फसल कट चुकी है और खेत-खलियानों में पड़ी है जबकि धान की फसल कटने को तैयार है। इस बरसात से खरीफ़ की इन दोनों मुख्य फ़सलों के अलावा दलहनी फसल उड़द को भी काफी नुकसान पहुंचने की आशंका है।

सूखी सोयाबीन की फलियां गीली हो गई

बारां जिले में अटरू क्षेत्र के मोठपुर हलके के गांव हाथी दिलोद निवासी प्रगतिशील किसान राकेश चौधरी गुड्डू ने बताया कि इस बरसात के कारण खेतों में पड़ी सोयाबीन की फसल को व्यापक पैमाने पर नुकसान होने की आशंका है। किसान अपनी फसल काटकर उसे या तो थ्रेसर आदि से निकलवा रहे हैं या निकालने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में बीते दो दिनों में हुई बरसात से खेत-खलियान में पड़ी सूखी पड़ी सोयाबीन की फलियां गीली हो गई है और अब मशीन से निकालने से पहले सुखाना पड़ेगा और धूप लगने से फलियों के तड़कने और उसके दाने गिर जाने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। किसानों के लिए इस तड़की उपज को समेटना भी मुश्किल होगा और गीली फलियों का मशीन से दाना निकालना मुश्किल है।

धान की फसल में सबसे अधिक खराबा

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प्रगतिशील किसान राकेश चौधरी।

राकेश चौधरी गुड्डू ने यह भी बताया कि पिछले दो दिनों में बारां जिले के ज्यादातर इलाकों में धीमी से मध्यम बरसात हुई है जिससे नुकसान तो है ही लेकिन बरसात के साथ तेज हवाएं चलने के कारण धान की फसल में इसलिये सबसे अधिक खराबा हुआ है क्योंकि धान को पांच-सात दिन में एक काटने की तैयारी थी लेकिन अब तेज हवाएं चलने के कारण खड़ी फ़सल आड़ी पड़ गई है। इसके अलावा दलहनी फसल उड़द में भी व्यापक नुकसान है क्योंकि जिन खेतों में उड़द कटने को तैयार है, वहां बरसात और तेज हवाओं के असर से उम्मीद की फलियां टूट कर जमीन पर बिखर गई है और जहां भी यह हालात बने हैं, उसका व्यापक नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा।

किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरें
कोटा संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के कई इलाकों में इस बार मानसून की अतिरिक्त मेहरबानी के कारण अतिवृष्टि जैसे हालात बने जिससे कृषि सत्र खरीफ में फसल खराबा हुआ जो अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके अलावा दो दिन की बरसात के बाद आज मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में कोटा संभाग के चारों जिलों में कई जगह मध्यम से तेज बरसात होने की चेतावनी दी है जिससे किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरें और ज्यादा ज्यादा गहरा गई है।

खराबे के शीघ्र सर्वे की मांग

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किसान नेता दशरथ कुमार

इस बीच हाडोती किसान यूनियन ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि हाल ही में हुई अतिवृष्टि से खरीफ़ के कृषि क्षेत्र में करीब 1.15 लाख हेक्टेयर की के धान और छह से सात लाख हैक्टेयर के रकबे में सोयाबीन की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचा है लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस खराबा का अभी तक आकलन नहीं किया गया है। किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने कहा कि राज्य सरकार कोटा संभाग के सभी जिलों में अतिवृष्टि से हुए खराबे के शीघ्र सर्वे के जिला कलक्टरों को निर्देश दे। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि खराबे के सर्वे के लिये आने वाले कर्मचारी प्रभावित किसानों को साथ लेकर उनके खेत-खलियान तक पहुंचे ताकि किसान से बातचीत व मौके के हालात के आधार पर वास्तविक नुकसान का आकलन हो सके। आमतौर पर कर्मचारी कार्यालय में बैठकर ही कागजी खानापूर्ति कर लेते हैं, जिससे किसानों को उनकी वास्तविक क्षति के अनुरुप मुआवजी नहीं मिल पाता। श्री दशरथ कुमार ने मांग की कि जमीनी स्तर पर खराबे के आकलन के बाद किसानों को कम से कम 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर सोयाबीन और 70 हजार से एक लाख रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से धान का मुआवजा दिया जाना चाहिए। हालांकि मुआवजे की यह रकम भी नुकसान की तुलना में कम है, लेकिन इतना मुआवजा मिलने की स्थिति में किसान आंशिक राहत महसूस करेंगे।

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