‘तुलसी ने निराशा के भाव से उबार समाज में विश्वास जगाया’

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-तुलसी विमर्श” पर व्याख्यानमाला

कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा मे “तुलसी विमर्श” पर व्याख्यानमाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला का प्रमुख विषय “तुलसी की मानस से सीखें बेहतर प्रबंधन” था। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य पण्डित राधेश्याम शर्मा सेवानिवृत प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने की। मुख्य अतिथि आचार्य बद्री लाल गुप्त, अति विशिष्ठ अतिथि राम मोहन कौशिक सेवानिवृत अधिशाषी अभियंता, विशिष्ट अतिथि मधुसूदन शर्मा सेवानिवृत अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका एवं कमलाकान्त शर्मा पुस्तकालयविद एवं बिगुल जैन सेवानिवृत उपमुख्य अभियंता रहे।

इस अवसर पर उदघाटन व्यक्तव्य के दौरान संभागीय पुस्तकलायाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि “श्रेष्ठ प्रबंधन से परिपूर्ण है तुलसीदास की रामचरित मानस। विषम परिस्थितियों में भी धैर्य के साथ लक्ष्य भेदने का संकल्प इंसान को आसानी से उसकी मंजिल तक पहुंचा देता है।

अध्यक्षता कर रहे पण्डित राधेश्याम शर्मा ने कहा कि तुलसी एक व्यक्ति नही व्यक्तित्व है, उन्होने ऐसे काल मे अपनी कृति लिखी जब समाज मे दिल्लीश्वरों से जगदीश्वरों का भाव भर गया था। तुलसी ने ऐसे काल मे सियाराम मे सबा जुग जानी, करहु प्रणाम ज़ोर जून पानी” कहकर इस निराशा कि भावना से बाहर निकाला और समाज मे एक विश्वास जगाया।

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मुख्य अतिथि आचार्य बद्री लाल गुप्त ने कहा कि महाकवि तुलसीदास जी हिन्दी साहित्याकाश के सूरी है “गाते संत तुलसी नही , लिख आम भाषा राम को संसार केसे जानता , मंगल भुवन के नाम को।

अति विशिष्ट अतिथि राम मोहन कौशिक ने तुलसीदास जी के संक्षिप्त जीवन परिचय से अवगत कराया। मधुसूदन शर्मा ने तुलसी संवाद के मूल मंत्र “कर्म ही पूजा है” कि बात की। कमलाकांत शर्मा ने छात्रों को बेहतर प्रबंधन सीखने के लिए रामचरित मानस के कई प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि विद्या ददाति विनयम् यानी कि शिक्षा के बाद हमें विनम्र बनना चाहिए, इसके बाद जब बेहतर प्लेसमेंट हो जाए तो सत्यं ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात को अपनाकर लगातार उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। तीसरे सूत्र के रूप में उन्होंने कहा कि अच्छे प्रबंधन के लिए बेहतर कम्युनिकेशन का बड़ा महत्व है। चौथे सूत्र के बारे में उन्होंने कहा कि बेहतर टीम हैंडलिंग का हुनर सीखना चाहिए। अपनी सफलता का श्रेय हमेशा टीम लीडर को देना चाहिए। बिगुल जैन ने कहा कि “ जिंदगी को बेहतर ढंग से जीने के लिए उपासना, साधना फिर आराधना को अपनाना होगा। पैसे से कभी संतुष्टि नहीं मिल सकती।“

कार्यक्रम प्रभारी शशि जैन ने राम कथा में जामवंत का उदाहरण देते हुए टीम लीडर के गुण बताए। उन्होंने कहा कि वह अपनी टीम के सदस्यों का उत्साहवर्धन कर उनसे असाधारण काम भी आसानी के साथ करा सकते हैं।
कार्यक्रम का प्रबंधन अजय सक्सेना एवं तकनीकि प्रबंधन रोहित नामा एवं परामर्शदाता डबली कुमारी ने किया।

 

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