
— जिला परिषद की सीईओ का नवाचार रंग लाया
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-सावन कुमार टांक-
कोटा। कोटा जिले में विकसित हो चुकी 121 नर्सरियों में पौधे तैयार होने लगे हैं, जिसे देखकर क्षेत्र के लोग अब नर्सरी विकास कार्य की ओर अग्रसर हैं। कोटा जिले में 5 पंचायत समितियों की 156 ग्राम पंचायतों में स्वीकृत सभी ग्राम पंचायतों की नर्सरी आकर्षण का केन्द्र बनने की राह पर है। वर्तमान में जिले में 136 नर्सरियाँ स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 121 नर्सरियाँ अपने अस्तित्व में आ चुकी है और इन नर्सरियों में लगने वाले पौधे लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। अब सार्वजनिक समारोह में गमलेयुक्त पौधे स्वागत स्वरूप जिला परिषद् की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती ममता तिवाडी की पहल पर दिए जाने का चलन हो जाने के कारण इनकी मांग भी बढ़ने लगी है। वहीं दूसरी ओर जिला परिषद् की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ममता तिवाड़ी की पहल पर राजीविका से जुड़े स्वयं सहायता समूह भी कार्यक्रमों के लिए पौधायुक्त गमला उपलब्ध करवाने लगे हैं। यह अपने आप में एक अनोखी पहल के रूप में देखा जा सकता है।
पंचायत समिति सुल्तानपुर स्थित ग्राम पंचायत जालिमपुरा के ग्राम विकास अधिकारी मोहम्मद सद्दाम ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर उनके द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी की प्रेरणा से नर्सरी का कार्य किया गया। शीघ्र ही गमला सहित पौधे उपलब्ध करवाने का कार्य आरम्भ हो सकेगा, जिससे कि ग्राम पंचायत को अतिरिक्त आय भी हो सकेगी। कैथून स्थित बागवान नर्सरी के संचालक मोहम्मद कलीम ने बताया कि पहले उनके पास लोग अधिकांश सजावटी पौधों की मांग करते थे लेकिन अब जब भी कोई आयोजन होते हैं तो उनके द्वारा सजावटी पौधे मय गमला की मांग पूरी की जाती है। यह मांग उन्होनें पूर्व में नहीं देखी। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि जिले में गुलदस्ते के स्थान पर गमले दिए जाने का चलन बढ़ रहा है ऐसे में उन्होंने क्षेत्र के आस-पास की ग्राम पंचायतों से भी पौधे मंगवाये हैं और गमलों में आयोजकों के नाम लिखवाने के लिए भी कारीगर बुलवाने की योजना तैयार की है। बागवान के प्रबन्धक सलीमभाई का कहना है कि उन्हें इस चलन में एक ओर तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अच्छा संदेश नजर आ रहा है, वहीं दूसरी और हमें अतिरिक्त लाभ का भी यह जरिया बनता नजर आ रहा है।