राही बैठे लुट कर कितने रहजन निकले रहबर कितने

chand sheri 1
चाँद ‘शैरी’

-चाँद ‘शैरी’-

राही बैठे लुट कर कितने
रहजन निकले रहबर कितने

पूछे उस कातिल से कोई
जालिम काटेगा सर कितने

ये फिकरे-बाजी रहने दो
मारोगे अब कंकर कितने

उछले-कूदे फिर नाचे जो
संसद में थे बन्दर कितने

हैरां है मन्दिर-मस्ज़िद भी
उनकी ख़ातिर खन्ज़र कितने

सोने-चांदी की दुनिया में
असली निकले जेवर कितने

शेरी इन ज़ख्मों से पूछो
हम पर बरसे पत्थर कितने

चाँद ‘शैरी’ (कोटा)

098290-98530

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