– विवेक कुमार मिश्र-

मजदूर दिवस
कहने के लिए श्रमिक का दिन
श्रम की परतों को करीब से
देखने जानने का दिन
सारी दुनिया सोयी रहती
तब मजदूर चल रहा होता है
श्रम की आस में कमाता है दिन
संघर्षों के पथ पर चलते मजदूर के लिए
कोई भी दिन आसान नहीं होता
उसके लिए तो हर दिन
श्रम दिवस की तरह होता है
यह बात अलग है कि
आज लोगबाग मजदूर दिवस के गीत गायेंगे
उसके श्रम और साहस के गीत गायेंगे
फिर वही और उसकी दुनिया
पड़ी होगी अपने हाल में बेहाल
नहीं होगा कोई देखने वाला
मजदूर दिवस
चीख – चीख कर कहता है कि
मत मनाओं हमारा दिन
इससे अच्छा है कि
हमारे हालातों पर विचार करते हुए
हमारे हालात को ठीक करने के लिए
आगे आ सकों तो
तुम्हारा मजदूर दिवस मनाना
श्रम दिवस और श्रम के संघर्ष का दिवस
मनाना सार्थक होगा
अन्यथा इसका क्या ? ? ?
– विवेक कुमार मिश्र
आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002