-प्रकाश केवडे-

अलसायी सुबह लिए आया इतवार
गर्मागर्म चाय और इश्तेहारों से भरा अखबार
कोई बनाये स्वादिष्ट नाश्ता
सबको है इंतजार
औंधे उनींदे लेटें हैं सोफे पर
टीवी पर चल रहे समाचार
कहीं से आ रही खुश्बू पकवान की
खिड़की खुली है शायद
उनके मकान की
भूख से दिल हमारा है बेजार
वक्त भी ठहरा ठहरा है
भूला है वो भी अपनी तेज़ रफ़्तार
आखिर भला क्यों ना हो
आज है सबका पसंदीदा इतवार।
प्रकाश केवडे
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