उदासी की रिदा रुख़ से हटा कर ख़ुशी की, मस्तियों की बात कीजे

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फोटो अखिलेश कुमार

-मधु मधुमन-

कवयित्री मधु “मधुमन”

गुलों की ,ख़ुश्बुओं की बात कीजे
पतंगों, तितलियों की बात कीजे

फुदकते पंछियों की बात कीजे
चहकती कोयलों की बात कीजे

गुलाबी मौसमों की बात कीजे
चमन आराइयों की बात कीजे

भुला कर सर्दियों की तल्खियों को
सुहाने मंज़रों की बात कीजे

महकती डालियाँ ये कह रही हैं
हमारी निकहतों की बात कीजे

दिलों की धड़कनों के राग सुनिए
मुहब्बत के सुरों की बात कीजे

सुनहरे ख़्वाब आँखों में सजा कर
किसी से कुर्बतों की बात कीजे

उदासी की रिदा रुख़ से हटा कर
ख़ुशी की, मस्तियों की बात कीजे

ये वासंती हवा कहती है ‘मधुमन ‘
बस अब शादाबियों की बात कीजे

मधु मधुमन

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