ग़ज़ल
शकूर अनवर

कितनी ख़ुशियों भरा है ईद का दिन।
सब दिनों से जुदा है ईद का दिन।।
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जैसे अब्रे-बहार* का झोंका।
जैसे बादे-सबा* है ईद का दिन।।
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है सराबोर रंगो-ख़ुशबू से।
फूल जैसे खिला है ईद का दिन।।
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न कोई वाक़िया* न पसमंज़र*।
सिर्फ़ शुक्र ए ख़ुदा है ईद का दिन।।
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क्यूॅं न मग़रूर हो ये ईद की शब।
ख़त्म इस पर हुआ है ईद का दिन।।
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तुम भी ख़ुशियाँ समेट लो “अनवर”।
लो चला है चला है ईद का दिन।।
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अब्रे-बहार*बसंत ऋतु के बादल
बादे-सबा*सुबह की ठंडी हवा
वाक़िया*घटना
पसमंज़र*पृष्टभूमि
शकूर अनवर
9460851271
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