– विवेक कुमार मिश्र-

चाय पर कहानियों की दुनिया
छप कर आ जाती है
चाय इतनी नई भी नहीं कि
चाय कथा को एक नई कथा कहा जा सके
और पुरानी भी इतनी नहीं कि कुछ याद ही न हो
चाय को स्मृतियों में रखा जा सकता है
और चाय कथा के साथ
जीवन की बहुत सारी यादें जुड़ी होती हैं
एक चाय कथा याद आ रही है
जब दुनिया को समझने के लिए
हम सब दुनिया को ऐसे देख रहे थे
कि पहले – पहल देख रहे हों
दुनिया को देखते हुए हम सब सबसे पहले
स्वयं को देखते हैं
बार बार अपने आप को ही पढ़ते हैं
घटते बढ़ते अर्थ में संसार को देखते और समझते हैं कि
संसार ऐसा ही था तो फिर इतने वर्षों से
हम क्यों भटक रहे थे
और कब तक भटकते रहेंगे
इस क्रम में दुनियावी संबंधों को
जब देखने की शुरुआत करते हैं
तो चाय के साथ घर गांव का सफर
ऐसे याद आता है कि
इससे बड़ा कोई संसार हो ही नहीं
चाय पर अपने समय का वौद्धिक संसार
यथार्थ दुनियावी सफ़र
और जीवन की बातों से
इस तरह भरा रहता है कि
इससे इतर कुछ सोच भी नहीं सकते
चाय कथा जीवन को लिए – लिए चलती है
एक चाय ही तो है
जो हम सबको बांध कर रखती है।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)
एक चाय ही तो है जो हमको बांधकर रखती है ,के माध्यम से डाक्टर विवेक मिश्र ने वर्तमान समाज के ताने बाने को एक सूत्र में पिऱोने का, सराहनीय प्रयास किया है.
बहुत बहुत आभार आपका