जगदीश विमल गुलकंद जन्म शताब्दी वर्ष: सृजन संगोष्ठी आज

whatsapp image 2023 09 16 at 16.25.05

कोटा। राजस्थान साहित्य अकादमी और सर्जना की सहभागिता में जन-कवि जगदीश विमल गुलकंद के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर रविवार 17 सितंबर को सृजन संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। शॉपिंग सेंटर स्थित बिनानी सभागार में अपरांह दो बजे से आयोजित संगोष्ठी में जनकवि जगदीश विमल गुलकंद के वयक्तित्व एवं कृतित्व पर उपस्थित रचनाकार विचार व्यक्त करेंगे। डॉ जीवन सिंह मानवी सृजन के सामाजिक सरोकार तथा जयपुर के डॉ आनन्द कश्यप गीत गोरिल्ला बृजेन्द्र कौशिक पर वक्तव्य देंगे।
साहित्यकार महेन्द्र नेह के अनुसार जगदीश विमल गुलकंद की बड़ी खूबी थी उनकी उद्दाम फक्कड़ता और मस्ती। उनकी बड़ी खूबी थी, उनकी उद्दाम फक्कड़ता और मस्ती. विषम से विषम परिस्थितियों में भी खुश रहना और इस ख़ुशी को अपने समूचे परिवेश में बांटना . परिस्थितियों से समझौता नहीं करना। उन्हें स्वीकार करना , चुनौती देना और जूझना .इस तरह उनकी मस्ती , व्यक्तिगत नहीं थी , उसका रूप समाज -सापेक्ष था . उनकी इससे भी बड़ी खूबी यह थी कि वे यथास्थितिवादी या जड़तावादी नहीं थे , वे बदलते हुए समाज को देखते थे और स्वयं के विचारों को भी बदलते हुए चलते थे। यह मामूली बात नहीं है कि जिस झालावाड़ के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जिस कवि की कविताओं से आल्हादित हो कर अध्यक्षता कर रहे पूर्व झालावाड़ -नरेश -उनका नामकरण ‘ गुलकंद ‘( भांग और गुलाब के फूलों से निर्मित चूर्ण ) रखते हैं , वही कवि समाज में बढ़ रही विषमताओं , नेताओं , पूंजीपतियों के भ्रष्ट आचरणों और अत्याचारों को अपनी कविताओं में व्यक्त करते हुए आम मेहनतकश अवाम के साथ पूरी निडरता से खड़ा हो जाता हैA वह व्यावसायिक कवि सम्मेलनों के प्रदूषण से मुक्त होकर , मजदूर बस्तियों और गाँवों में आयोजित नुक्कड़ कवि-सम्मेलनों में सांस्कृतिक प्रतिरोध की आवाज़ बनने में हिचकता नहीं है यह भी उल्लेखनीय है कि प्रगतिशील -जनवादी साहित्यिक आन्दोलन की लहर का हिस्सा बनते हुए भी जगदीश विमल गुलकंद अपनी जनतांत्रिक आज़ादी , अपनी फक्कड़ता और मस्ती को बनाये और बचाए रखते हैं। कविता , भांग और शतरंज उनकी ज़िन्दगी के अटूट हिस्से बने रहते हैं।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments