shakoor anwar 01
शकूर अनवर

ग़ज़ल

शकूर अनवर
जिस डगर में कोई मुश्किल या कोई बाधा नहीं।
ऐसा सीधा रास्ता अपने लिए अच्छा नहीं।।
*
जिसने ये दुनिया बनाई वो हमें दिखता नहीं।
आसमाॅं दिखता है लेकिन आसमाॅं होता नहीं।।
*
ज़िंदगी की भीड़ में यूॅं खो गया मेरा वजूद।
जैसे मेरा ज़िंदगी से कोई भी रिश्ता नहीं।।
*
सब को ही दो वक़्त की रोटी मिले इस देश में।
ऐसा होना चाहिए ऐसा मगर होता नहीं।।
*
उसको ही क़ातिल बना डाला ये कैसा न्याय है।
जिसके दामन पर किसी के ख़ून का धब्बा नहीं।।

खा गये कुछ लोग सूरज को निगल कर खा गये।
अब हमारे वास्ते इक धूप का टुकड़ा नहीं।।
*
हमने आख़िर इन हवाओं की सियासत देखली।
जो दीया रोशन हुआ था वो भी अब जलता नहीं।।
*
ऐसा लगता है कि ये दिन भी बदल ही जायेंगे।
आख़िरी तारा अभी उम्मीद का डूबा नहीं।।
*
हम भी तुम भी छोड़ जायेंगे ये दुनिया एक दिन।
कोई भी “अनवर” हमेशा तो यहाँ रहता नहीं।।

शकूर अनवर
वजूद*अस्तित्व
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments