
-रामस्वरूप दीक्षित-

हरे भरे बने रहें पेड़
फूलों में बनी रहे खुशबू
छतों पर आती रहें
गौरैयां, गिलहरियां और कबूतर
और उनके लिए बिखरे रहें दाने
दुनिया भर के
हथियारों को गलाकर
बना दिए जाएं
बच्चों के लिए खिलौने
आसमान भर उठे
बच्चों की किलकारियों से
बारूद की जगह
लगा दिए जाएं फूलों के ढेर
युद्ध के मैदान
बदल जाएं खेल के मैदान में
स्त्रियों की हंसी की चूनर ओढ
चमक उठे
धरती का चेहरा
मनुष्यता के पेड़ से
झड़ जाएं
अहंकार, ईर्ष्या –द्वेष , घृणा
और स्वार्थ के कांटे
और बचे रहें
केवल
और केवल
प्रेम के फूल
रहने के लिए
स्वर्ग नहीं
धरती हो
सबकी
पहली और आखिरी पसंद
रामस्वरूप दीक्षित
विश्व में शांति के दुश्मन हथियारों की दौड़ के बीच ,रामस्वरूप दीक्षित ने विश्व शांति का अनूठा प्रयोग,कविता के माध्यम से किया है