
-रानी सिंह-

क्या आप जानते हैं ?
ओझा, मंतरिया,भगत, फकीर, गुणियाँ
बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं ये
पुरुषवादी सोच और सत्ता को
बनाए रखने में।
हमारे पुरुष-प्रधान समाज में
पुरुष ओझा-मंतरिया
भगत गुणियाँ फकीर सब हो सकते हैं
लेकिन पुरुष कभी डायन नहीं होते।
डायन तो सिर्फ स्त्रियाँ होती हैं
वो भी वे स्त्रियाँ
जो करती हैं कोशिशें बोलने की
पुरुषवादी समाज से नजरें मिलाकर
उठाती हैं सिर अपने हक के लिए
अपने ऊपर हुए अन्याय के खिलाफ।
दरअसल वे
डायन होती नहीं हैं
बना दी जाती हैं जबरन
ताकि उस पर तोहमत लगाई जा सके
किसी नवजात को खाने का
ठहराया जा सके जिम्मेदार
किसी के जवान बेटे की मौत के लिए
लगाया जा सके इल्जाम
मानसिक रोग से पीड़ित
बहू-बेटियों पर भूत चढ़ाने का।
और किया जा सके
उसे प्रताड़ित इस कदर
दी जा सके इतनी
शारीरिक व मानसिक यातनाएं
कर दिया जाए उसे इतना कलंकित कि
किसी को मुँह दिखाने के लायक न रहे
खुद से ही हो जाए उसे इतनी घृणा
कि फिर कभी हिम्मत न जुटा पाए
आवाज उठाने की
पुरुषवादी सोच के खिलाफ।
©️ रानी सिंह
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