
-इन्दु मिश्रा-

कूड़े के ढेर में मिली एक बच्ची
जो अभी थोड़ी देर पहले ही जन्मी है
उसके नरम नरम मास को चींटियों
ने चुन चुन कर खाया है।
गंदगी के कारण उसे संक्रमण हो गया है
अस्पताल में भर्ती हैं
अभी अभी खबर मिली है कि वो जिन्दा है
हालत में सुधार हो रहा है।
मैं सोचती हूं
वो क्यों जिन्दा है।?
मरने के लिए तो कड़ाके की ठंड
या आग बरसती गर्मी ही काफी थी
उस पर कंटीली झाड़ियां संक्रमण
चींटियों के खाने के बाद भी
वो क्यों जिन्दा है?
वैसे मारने की पूरी कोशिश तो कोख में ही की गई होगी
फिर क्यों जिन्दा है?
क्या किसी दुश्करमी द्वारा नोचे जाने
के लिए
या दहेज की बलिबेदी पर चढ़ने
के लिए।
या अपनों के द्वारा ही छली जाने
के लिए।
वो क्यों जिन्दा है?
घुट घुट कर मरने के लिए
गली गली भटकने के लिए
जीवन भर अपनी पहचान तलाशने
के लिए।
या अपनी बदकिस्मती ढोने
के लिए।
वो क्यों जिन्दा है?
या फिर किसी निसंतान दंपत्ति
की झोली में जाने के लिए।
उनके जीवन को खुशहाल और
गुलज़ार करने के लिए
वो जिन्दा है
काश ऐसा ही हो तभी उसका जीवन
सार्थक होगा।
इन्दु मिश्रा, ग्वालियर
लड़की और लड़के में कोई फर्क नहीं है, कहने में यह जुमला अच्छा लगता है लेकिन अभी भी लड़कियों की पैदाइश पर ,घरों में शोक मनाया। जाता है,इन्दु मिश्रा जी ने,बेटी को कोख में मार देने अथवा जन्म पश्चात झाड़ियों में फेंकने की घटना का सरल भाषा में चित्रण किया है.नवजात लड़कियों को ही क्यों मरने के लिए फेंक दिया जाता है, यह चिंतनीय है आज 21वी सदी में.