
– विवेक कुमार मिश्र

इन दिनों बसंत की हवाओं के साथ जहां प्रकृति के नित नूतन जीवन रंग देखने को मिलते हैं वहीं आने वाली फागुनी हवाओं का संकेत भी मिल रहा है । प्रकृति में गति और जीवन का क्रम इतनी तेजी से चलता है कि यदि आप इसे देख और महसूस कर सकें तो ठीक नहीं तो जो आज और इस क्षण में दिख रहा है वह फिर कब कहां दिखेगा कह नहीं सकते। प्रकृति की यह नित्य लीला चलती रहती है। आज इस पेड़ पर पत्ते हैं पर दिख नहीं रहे हैं । नये पत्ते फूट रहे हैं और वे सब धीरे धीरे आ जायेंगे अभी कह रहे हैं कि प्रतीक्षा करों। हम आ रहे हैं और एक दिन देखते देखते ऐसे खिल उठेंगे कि बस सब देखते रह जाएंगे। प्रकृति बराबर कहती है कि आप देखते हुए चलें इस संसार में इतने रंग हैं और इतने तरह से आते हैं कि बस आप देखते रहे । हर रंग में हर अभिव्यक्ति में एक बड़ा संदेश छिपा है। इसे जानते समझते ही आप जीवन को उसकी प्रकृति को और यह प्रकृति क्या कह रही है इसे समझना ही मूल्यवान होता है । प्रकृति बराबर कुछ इस तरह कहती है कि
1. अपने आसपास को ध्यान से देखें इतना कुछ बदल रहा है कि इस पर दृष्टि रखना जरूरी है। हर बदलाव को सकारात्मक ढ़ंग से देखें।
2. प्रकृति में जो बदलाव हो रहा है वह हमारे जीवन प्रसंग से जुड़ा है । जीवन में जो कुछ नया हो रहा है जो नया रंग दिख रहा है वह सब प्रकृति के साथ हमारे जीवन में भी होता है । हमें प्रकृति के साथ समन्वय व सहयोग की भावना के साथ जीवन में आ रहा है ।
3. प्रकृति को खुली आंख से देखें और इस आश्चर्य को देखते हुए इसे स्वीकार करना सीखें ।
4.हर पुराने पत्ते को अपने समय के साथ चलना होता है और नये को आप से आप यह जगह मिलती है । पर इसके लिए कोई उतावलापन नहीं । सब कुछ मिलेगा समय के साथ । यह प्रकृति सीखाती है ।
5. प्रकृति को देखने समझने के लिए समय निकालें। अपने आसपास को देखते हुए चलें और स्थानीय प्रकृति में वैश्विक प्रकृति को अनुभव करते जीवन का विस्तार करते चलें । जब इस तरह चलते हैं तो जीवन की गति स्वाभाविक रूप से सामने आती है । आज बसंती हवाओं के बीच से फागुनी हवाओं को महसूस करते प्रकृति और अपने आसपास पर बातचीत करते हुए संसार को देखते हैं । कितना रंग है इस संसार में।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)
खेत,बाग बगीचों में मदन क्रीड़ा लय है, इसलिए धरती से आसमां तक परिवर्तन ही नजर आ रहा है बशर्ते आंख खुली हुई हों
सही कह रहे हैं। आभार।