मन का मैल नहीं धुलता, लाख लगा ले तू उबटन

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-डॉ.रामावतार सागर-

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डॉ.रामावतार मेघवाल “सागर”

देख समझ और चलता बन
मन में क्यों रखता उलझन
ये दुनियां गौरखधंधा
काबू में रख अपना मन
भारत भाग्यविधाता तू
गाता रह बस जन गण मन
काम यही है लोगों का
बने राह में बस अड़चन
तेरा मेरा सबका है
परमपिता है वो भगवन
मन का मैल नहीं धुलता
लाख लगा ले तू उबटन
मन से मन के मिलने में
सागर रस्ता रोके तन
डॉ.रामावतार सागर
कोटा, राज.

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