
-चांद शेरी-

अपने जीवन में सादगी रखना
आदमीयत की शान भी रखना
बंद ज़ेहनों के दरीचों से
तुम न उम्मीदें . रोशनी रखना
डस न लें आस्तीं के साँप कहीं
इन से महफ़ूज़ ज़िन्दगी रखना
हो खुले दिल तो कुछ नहीं मुश्किल
दुश्मनों से भी दोस्ती रखना
मुस्तकिल रखना मंज़िले . मक्सूद
अपनी मंजिल न आरज़ी रखना
ऐ सुख़नवर नए ख़यालों की
अपने शेंरों में ताज़गी रखना
अपनी नज़रों के सामने ‘शेरी’
मीरो . ग़ालिब की शायरी रखना
चांद शेरी
Advertisement