– विवेक कुमार मिश्र-

जलधारा और जीवन का क्रम शाश्वत ढंग से चलता रहता है। यह जीवन जलधारा का एक शाश्वत प्रवाह है। बिना क्रम टूटे बस चलते जाना है। समय जीवन और जलधारा एक क्रम में चलते रहते हैं । यहां अभाव गति है और इस गति में सौंदर्य है जगत का रहस्य है। जीवनधारा जल के आसपास जीव जगत का संसार आप से आप आ जाता है। पत्थर के उपर से जब जलधारा निकलती है तो एक अलग ही सौंदर्य राशि जन्म ले लेती है। यहां इस गति में , क्रम में और निरंतर चल रही जलधारा के आसपास तरह तरह के जीव , पक्षी और जलचर अपने ढ़ंग से जलक्रीड़ा करते रहते हैं। सूर्य की किरणें इस जलराशि पर पड़ती हैं तो सौंदर्य की अपार सृष्टि हो जाती है। यह जलधारा बराबर यह संदेश देते हुए चलती है कि जीवन गति का नाम है और गति में ही सौंदर्य और संसार खिलते हुए अलग रंग में आता रहता है। इस संसार में सौंदर्य और सृष्टि का नियम गति के साथ चलता रहता है। जहां गति नहीं है वहां कुछ नहीं है। जब यह जलधारा रुक जाती है तो कुछ भी तो दिखाई नहीं देता फिर इस किनारे कोई आता भी नहीं न पक्षी न मानुष सब इस बहते हुए क्रम के साथ चलते रहते हैं । यह चलना ही गति ही जीवन है और यही शाश्वत प्रवाह है।
– विवेक कुमार मिश्र
सह आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002