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-पीके आहूजा-
(व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता)

कोटा। देश ने आजादी का अमृत महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया लेकिन हम इतने निष्ठुर हो चुके हैं कि समाज, देश प्रेम, समाजिक सरोकार और जन भावनाओं को भूल गए हैं। नि:स्वार्थ और शुभ भावानाओं से समाजहित में कुछ भी करने की बजाय स्वार्थीपन, मोह माया, लोभ लालच में उलझते जा रहे हैं। इसी का दुष्परिणाम है कि समाज, देश प्रेम ही नहीं मानवता तक भूल गए। विचारणीय यह है कि अगर हम ऐसे ही स्वार्थपन, लोभ लालच मे रहेंगे तो आखिर क्या होगा हमारे समाज और देश का।
आज हमारी समाजिक व्यवस्थाएं दिनो दिन बिगड़ती जा रही हैं। देखा जाए तो स्वार्थी लोगों की वजह से ही समाजहित में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। इससे समाज में समस्याएं बढती जा रही हैं। विचारणीय यह है कि इसी तरह हमारा व्यवहार और आचार विचार रहा तो आखिर अपनी आने वाली पीढियों को हम विरासत मे क्या देकर जाएंगे। आज समाज मे जहां खड़े हो जायो वहीं समस्याओं का हाल बेहाल है। आज समाजिक ओहदे पर बैठे समाज के ज्यादातर लोग आखिर यह क्यों नही सोचते कि आखिर हम समाजहित में क्या अच्छा कर रहे हैं और क्या अच्छा करके जा रहे हैं।
समाजिक भावानाओं को समझना बहुत जरुरी हो गया है। हमें आने वाली पीढियों के लिए एक ऐसा समाज तैयार करने की जरुरत है कि वे संस्कारी बनें।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि केवल मैं और मेरा परिवार ही सब कुछ नहीं है। यदि हम समाज को नजरअंदाज करेगे तो फिर भविष्य में बुराइयों से अपना परिवार भी पीडि़त होगा। इसलिए हमें स्वार्थपन, लोभ लालच, मोह माया को छोड़कर समाज, देश, मानवता हित में हमें बहुत कुछ करने की जरुरत है। जिससे हम आने वाली पीढियों का अच्छा समाज देश देकर जाएं। हम मरने से पहले और बाद में कर्म से ही पहचाने जाएंगे। इसलिए हमें समाजिक भावानाओ से समाजहित मे बहुत कुछ अच्छा करने की जरुरत है।

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