
-अखिलेश कुमार-

(पत्रकार एवं फोटोग्राफर)
जीवन में खुशबू यानी महक नहीं तो कुछ भी नहीं। खुशबू ही मां को अपने नवजात के प्रति आकर्षित करती है। पहली बारिश की महक हो या बगीचे में खिले फूलों की खुशबू सभी का दिल प्रसन्न कर देती है। एक दौर ऐसा भी आया जब नकली फूलों यानी कागज और प्लास्टिक के फूलों से सजावट की जाने लगी। लेकिन इन सजावटी फूलों में खुशबू नहीं होने से लोगों का क्रेज जल्दी ही खत्म हो गया। वे पुनः नैसर्गिक फूलों की ओर लौट आए। त्योहारों और शादी विवाह के सीजन में तो फूलों का कारोबार परवान पर पहंुच जाता है। नवरात्रि के साथ ही त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। कोटा की फूल मंडी में भी इन दिनों विभिन्न किस्म के फूलों की आवक और बिक्री जमकर हो रही है।

कद्रदानों का इंतजार। फोटो अखिलेश कुमार
फूल हैं या बारात फूलों की। मनोहारी दृश्य