झूला है झूलते रहिए… इसके साथ संसार की गति जुड़ी हुई है

जैसे जैसे झूला तेज होता लगता कि आप आसमान से बातें कर रहे हैं। जब ऊपरी बिंदु पर झूला पहुंचता तो एकबारगी सांस ही जैसे रुक सी जाती और फिर उस ठहराव बिंदु से नीचे आने पर ही राहत मिलती है। यह क्रम चलता रहता है। ऊपर जाते ही पूरा शहर दिखने लगता पर इस दिखने में ठहराव नहीं है

jhula

– विवेक कुमार मिश्र

डॉ. विवेक कुमार मिश्र

झूला है। झूलते रहिए। यह संसार भी एक झूला है यहां सब एक गति के साथ आते हैं और उसी गति में जाते हैं। जीवन झूला की तरह चलता रहता है। एक निश्चित ऊंचाई से नीचे आना और फिर ऊपर जाना। यह क्रम बना रहता है। झूले में यह क्रम तेज गति के साथ बनता है और जैसे जैसे झूला तेज होता लगता कि आप आसमान से बातें कर रहे हैं। जब ऊपरी बिंदु पर झूला पहुंचता तो एकबारगी सांस ही जैसे रुक सी जाती और फिर उस ठहराव बिंदु से नीचे आने पर ही राहत मिलती है। यह क्रम चलता रहता है। ऊपर जाते ही पूरा शहर दिखने लगता पर इस दिखने में ठहराव नहीं है। इतनी तेज गति है कि बस उस क्षण को आप महसूस कर सकते हैं । यदि महसूस कर लिया तो ठीक नहीं तो झूला उस बिंदु से अगले ही क्षण अलग चला जायेगा। झूला गति के संसार को अपने साथ लेकर चलता है यदि आप गति को समझ सकते हैं और गति को गति की तरह लेते हैं तो ठीक नहीं तो झूला को बस एक अन्य गतिविधि की तरह देखते रहिए। पर जब आप झूले को गंभीरता से लेते हैं और संसार के संदर्भ में देखते हैं तो झूला हमेशा से संसार की व्याख्या ही करता आ रहा है। एक संसार है झूले के साथ उपर जाने का और दूसरा झूले के साथ नीचे आने का और इसी के साथ एक और भी दुनिया है जो बिना झूला झूले ही बस बातें करती रहती है। यह आपको तय करना है कि आप झूले के साथ हैं कि नहीं। अपने आप में हैं या कहीं नहीं हैं। या यूं ही बस पड़े हैं। संसार को जीने के लिए भी झूला झूलना पड़ता है। झूला के साथ ऊपर जाते लगता कि प्राण ही निकल गया और फिर नीचे आता तो जान में जान आती है। मेला में गये हो तो झूला जरूर झूलो। यदि झूल सकते हो नहीं तो झूले को देखो कैसे गति करता है और इसकी गति के साथ लोगों की खुशियां गति करती हैं। एक क्रम में झूला चलता जाता है और इसकी गति के साथ आपको अपने देह मन की गति का संतुलन बनाए रखना पड़ता है। जब तक आप गति से संयोजन करते हैं तब तक ठीक नहीं कर पाते तो झूला आफत में भी ला देता है। कइयों को चक्कर आ जाता तो कई ऐसे भी होते जिनके लिए बीच में ही रोकना पड़ता है। झूला यदि झूलने जा रहे हैं तो अपने मन से ठोक बजा कर पूछ लिजिए कि तैयार है कि नहीं। यदि मन तैयार है और शरीर साथ दे रहा है तो झूला झूले। नहीं तो झूले का आनंद बाहर से लें। लोगों को उल्लास के साथ झूला झूलते देखकर। यह संसार भी तो एक तरह का झूला है और सब इस झूले में झूल ही रहे हैं  अब यह आप पर है कि कैसे झूला झूलते हैं ।

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