-मनु वाशिष्ठ-

हैलो! आज की दौड़भाग भरी जिंदगी में आम आदमी के पास भी क्या कुछ नहीं है। चारों ओर भरा हुआ है सामानों से, लेकिन उनका उपयोग करने तक के लिए समय नहीं है। सुख सुविधा के लिए यों तो बहुत कुछ है, कहने को लाईफ सेट है, उसके पास टीवी सेट, मोबाइल सेट, डिनर सेट, डायमंड सेट, टी सेट, लेमन सेट, सोफासेट, तरह तरह के कुकिंग सेट और ना जाने क्या क्या … दुनियाभर के सेट हैं, बस एक दिमाग ही है, जो अपसेट है। और इसके जिम्मेदार भी आप ही हैं। आधुनिक तकनीक के साजो सामान घर में भरे पड़े हैं, नहीं है तो बस सुकून के पल, चैन की नींद, शांति, तनाव रहित जिंदगी। टीवी देख देखकर खुद टीवी हुए जा रहे हैं, जिसका रिमोट हमने दूसरों के हाथ में दे रखा है। लोगों के करके हंसना, लोगों के करके रोना। इस भौतिक दुनिया में अपना कोई नहीं है, जिससे दो पल प्यार या परेशानियों के बांट सके। आदमी का दिमाग विचारों का #विश्वविद्यालय बना हुआ है, जिसमें हर तरह की जानकारियों को घुसाए जा रहा है #आवश्यक … #अनावश्यक…! दिमाग #गोदाम बना दिया है। दिमाग में एक अंतहीन महाभारत मचा हुआ है, जिसकी शरशैया के लिए भी स्वयं ही जिम्मेदार हैं। आपके अंदर ही कोहराम है, अंदर ही शांति है, पसंद आपकी है आपको क्या चाहिए। कहीं enjoy करने जा रहे हैं, तो भी दिमाग में घूम रहा है स्टेटस अपडेट करना है, फेसबुक पर check in, check out. क्या खाया, कहां घूमे, अरे भाई किस दुनिया को दिखाना है, और क्यों? दिखावे की जिंदगी ने असली आनंद से भी वंचित कर रखा है। हर ओर टेंशन ही टेंशन है। और इस टेंशन का इलाज मेडिकेशन (मेडिसिन) नहीं, केवल और केवल मेडिटेशन (ध्यान) है। ध्यान जहर को अमृत में, नकारात्मकता को सकारात्मता में बदल देता है।
सफलता बड़ी चीजों में हो सकती है।
खुशी छोटी चीजों में भी मिल सकती है!
ध्यान शून्य में है!
ईश्वर हर चीज में है!
यही जीवन है!
जिसने इसे समझ लिया, वही सुखी है।भौतिकता की दीवानगी को छोड़े बिना, आत्मिक आनंद संभव नहीं।
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान
वाह क्या बात है,जीवन दर्शन आपने थोड़े से अल्फाजों में समेट दिया है।
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