
-देवेन्द्र यादव-

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अब परिपक्व नेता ही नहीं बल्कि राजनीति के एक बड़े ही चतुर खिलाड़ी बन गए हैं।
राहुल गांधी की राजनीतिक चतुराई को देश 18वीं लोकसभा में देख रहा है। वह अपनी राजनीतिक चतुराई से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को मुद्दों पर घेर कर चित करने में लगे हुए हैं।
18 वीं लोकसभा का जैसे ही पहला बजट सत्र शुरू हुआ राहुल गांधी ने जो मुद्दे 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के समय आम मतदाताओं के सामने रखे थे उन्हीं मुद्दों को लेकर उन्होंने संसद के भीतर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सरकार को घेरा। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस, इंडिया गठबंधन और राहुल गांधी ने एक स्वर में देश में जाति जनगणना करवाने की मांग की थी और गारंटी ली थी कि हम देश में जाति जनगणना करवा कर रहेंगे।
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन देश में अपनी सरकार तो नहीं बना सकी क्योंकि वह 234 सीट ही जीत पाई, मगर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने 240 सीट जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी को संसद से लेकर सड़क पर जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर घेर लिया।
राहुल गांधी की राजनीतिक चतुराई और राजनीतिक परिपक्वता की झलक की बात करें तो जिस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक शब्द नहीं बोल रहे थे उस जातिगत जनगणना के मुद्दे पर संसद से लेकर सार्वजनिक स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता बोलते हुए नजर आ रहे हैं।
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राहुल गांधी अभी तक आधिकारिक रूप से इस पर बहस नहीं करवा पाए मगर इस पर अनौपचारिक रूप से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राहुल गांधी बहस छिडवाने में कामयाब हो गए। राहुल गांधी ने फिर एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बोलने पर विवश कर दिया। विपक्ष आरोप लगाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुद्दों पर बोलते नहीं है बल्कि खामोश रहते हैं वहीं राहुल गांधी कहते हैं कि मैं जब चाहूं तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलवा सकता हूं। राहुल गांधी की यह बात उस समय सत्य साबित हुई जब मोदी ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के वक्तव्य का समर्थन किया और इसी पर संसद और बाहर नए सिरे से जातिगत जनगणना पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग छिड़ गई और जाति जनगणना का राहुल गांधी का मिशन पहली नजर में कामयाब हो गया। राहुल गांधी ने संसद के भीतर जाति जनगणना का तीर छोड़ा, भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के तीर से बचने के लिए तरकश से तीर निकाला मगर वह तीर भाजपा पर ही उल्टा पड़ गया। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक खामोश थे उन्हें भी अब बोलने पर विवश होना पड़ रहा है।
राहुल गांधी संसद में जातिगत जनगणना के मुद्दे को उठाकर आम जन तक पहुंचाना चाहते थे मगर समस्या यह थी कि कांग्रेस के पास सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के बराबर संसाधन नहीं थे, लेकिन उनका तीर सही निशाने पर लगा और यह मुद्दा संसद से निकलकर आम जन के बीच पहुंच गया।
यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुराग ठाकुर के वक्तव्य का समर्थन नहीं करते तो शायद जातिगत जनगणना का मुद्दा देश के जन जन तक नहीं पहुंचता।
अनुराग ठाकुर के संसद में दिए गए वक्तव्य को लोकसभा के चेयरपर्सन ने स्पंज करवा दिया था मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर के वक्तव्य का समर्थन कर जातिगत जनगणना पर एक नई बहस को जन्म दे दिया। कांग्रेस के सांसद चरण जीत सिंह चन्नी ने लोकसभा में इस पर स्थगन आदेश की मांग की है।
देखना यह है कि संसद के भीतर जिस वक्तव्य को स्पंज किया और मोदी फंस गए हैं उसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कैसे संभाल पाते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)