अय्यर को क्यों आ रहा है पीवी नरसिंह राव पर गुस्सा !

राव का लंबा राजनीतिक जीवन रहा है और वे प्रधानमंत्री पद से लेकर केंद्र में विभिन्न विभागों में मंत्री पद रहे हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भी केंद्र में मंत्री पद संभाला। बाद में राजीव प्रधानमंत्री पद पर रहे तब भी वे केंद्र में मंत्री रहे। यदि राव सचमुच साम्प्रदायिक व्यक्ति थे तो फिर वे इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के साथ काम कैसे कर सके।

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photo courtesy amazon.in

-राव के पोते एन वी सुभाष का पलटवार, कहा-कांग्रेस अपने ही नेताओं को कर रही है बदनाम

-द ओपिनियन-

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर कई बार अपने बयानों से कांग्रेस के लिए परेशानी पैदा करते रहे हैं। लगता है अब एक बार फिर उनकी टिप्पणी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। हो सकता है कांग्रेस के कुछ नेताओं को उनकी टिप्पणी पसंद आऐ, लेकिन राजनीतिक क्षेत्रों में शायद ही उनकी बात को कोई अपेक्षित समर्थन व साथ मिल पाए। अय्यर ने बुधवार को आरोप लगाया था कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सांप्रदायिक सोच वाले व्यक्ति थे। अय्यर ने राव को देश में भाजपा का पहला प्रधानमंत्री तक कह दिया। अय्यर ने अपनी ‘राम-रहीम’ यात्रा का जिक्र करते हुए भी राव पर प्रहार किया। अय्यर ने कहा, पीवी नरसिंह राव ने मुझे बताया कि उन्हें मेरी यात्रा पर तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह धर्मनिरपेक्षता की मेरी परिभाषा से असहमत थे। फिर अय्यर ने अपनी यह विवादास्पद टिप्पणी की कि भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नहीं थे, बल्कि नरसिंह राव थे।
अय्यर ने इस तरह की टिप्पणियां अपनी आत्मकथा ‘‘मेमोयर्स ऑफ अ मैवरिक- द फर्स्ट फिफ्टी ईयर्स (1941-1991) की लाॅन्चिंग के मौके पर व बाद में की हैं। अय्यर की यह किताब सोमवार को बाजार में आई थी। अय्यर की टिप्पणी पर राव के पोते एनवी सुभाष ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने ही नेताओं को बदनाम कर रही है। सुभाष ने कहा, कांग्रेस की संस्कृति अपने नेताओं की ही छवि खराब करने की है। पीवी नरसिंह राव को बदनाम करने के लिए ये किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। ये लोग ऐसा पार्टी में परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए करते हैं। सुभाष हालांकि भाजपा के नेता हैं, लेकिन राव को लेकर अय्यर की टिप्पणी पर उनका नाराज होना स्वाभाविक है। राव का लंबा राजनीतिक जीवन रहा है और वे प्रधानमंत्री पद से लेकर केंद्र में विभिन्न विभागों में मंत्री पद रहे हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भी केंद्र में मंत्री पद संभाला। बाद में राजीव प्रधानमंत्री पद पर रहे तब भी वे केंद्र में मंत्री रहे। यदि राव सचमुच साम्प्रदायिक व्यक्ति थे तो फिर वे इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के साथ काम कैसे कर सके। इसलिए सुभाष का यह कहना स्वाभाविक है कि गांधी परिवार के करीबी अय्यर ने कभी पीवी नरसिंह राव से उनके काम के बारे में सवाल करने की हिम्मत नहीं की, लेकिन अब उन्होंने उनकी मृत्यु के 19 साल बाद उन्हें सांप्रदायिक बताकर उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाया है। अब राजनीतिक क्षेत्रों में सवाल यह भी उठ रहा है कि अय्यर ऐसी विवादास्पद टिप्पणी तब क्यों करते हैं जब चुनाव का दौर चल रहा हो या चुनाव नजदीक हों। इस तरह की टिप्पणियों का खामियाजा कांग्रेस पहले भी उठा चुकी है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने अय्यर की किताब और उनके बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि उनकी किताब में जो कुछ छपा है या उन्होंने जो भी बयान दिया है, वह गांधी परिवार के ही विचार और घमंडिया गठबंधन की आत्मा है। अय्यर गांधी परिवार के मुकुटमणि और प्रवक्ता हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी चुनाव आता है तो गांधी परिवार मणिशंकर अय्यर को आगे कर इसी तरह के बयान दिलवाते हैं। पीवी नरसिंह राव कांग्रेस से पीएम थे और जिस तरह के शब्द उनके लिए जो इस्तेमाल किए गए हैं, उससे साफ पता चलता है कि अय्यर को गांधी परिवार के अलावा किसी और का प्रधानमंत्री बनना बर्दाश्त नहीं है, भले ही वह शख्स कांग्रेस पार्टी से ही क्यों न हो। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को लेकर दिए गए बयान की भी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान को लेकर जो कहा गया है, वह भी निंदनीय है। मोदी सरकार ने स्पष्ट तौर पर यह कह दिया है कि आतंकवाद और बातचीत कभी साथ-साथ नहीं चल सकते हैं।

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