
-भवँर सिंह कछवाहा-

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी में आज भी बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही सबसे बड़ी नेता और चेहरा है। वसुंधरा राजे का तोड़ राजस्थान में बीजेपी आज तक नहीं तलाश पाई है और न ही खड़ा कर सकी है। वसुंधरा राजे भाजपा में बड़ा चेहरा मानी जाती है क्योंकि वे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी विदेशी राज्य मंत्री रह चुकी है ओर झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र से 5 बार अजेय सांसद रही है। इसके बाद सन 2003 में जब उन्हें राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया तो इसमें भी उन्होंने अपनी जबरदस्त योग्यता को प्रमाणित किया और राजस्थान में पहली बार पूर्ण बहुमत से 120 सीटे जीतकर बीजेपी की सरकार बनाई थी। दूसरी बार फिर वसुंधरा राजे ने सन 2013 में राजस्थान की बागडोर संभाली तो प्रचंड बहुमत 163 सीटे जीतकर राज्य में बीजेपी की सरकार बनाई ओर दोनों बार वे मुख्यमंत्री बनी। वसुंधरा राजे की लोकप्रियता आज भी सर चढ़कर बोलती है और इसे वे अनेक बार साबित कर भी चुकी है इसलिए उन्हें राजस्थान भाजपा का कद्दावर नेता माना जाता है।
इसी साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अब उलटी गिनती शुरू हो गई है। बीजेपी व कांग्रेस के अलावा राजस्थान में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी इस बार दस्तक देने को तैयार खड़ी है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि पिछले कुछ सालों में आप पार्टी ने हर राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ा है। भले ही वह जीत नहीं पाई हो लेकिन उसने अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। वहीं मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी राजस्थान विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवारों को जिता चुकी है और आज भी बसपा का कुछ विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव है और उसे दरकिनार नहीं किया जा सकता। राजस्थान में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के शासन की परंपरा रही है और यह मिथक आज तक बरकरार है। दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है लेकिन स्पष्टता दोनों में अभी तक दिखाई नहीं दे रही।
असमंजस की स्थिति सत्ताधारी कांग्रेस में भी दिखाई दे रही है। हालांकि जादूगर अशोक गहलोत फिर से अपना जादू दिखाने के लिए तैयार खड़े हैं लेकिन सचिन पायलट जैसे युवा व प्रभावशाली नेता इस बार जादूगर के सामने खड़े हैं और पायलट लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। कांग्रेस आलाकमान शुरू से ही चेहरा घोषित नहीं करता है और परिणाम के बाद ही तय होता कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इसमें जादूगर गहलोत तीन बार बाजी मार चुके हैं और अभी फिर से चौथी बार भी अंगद की तरह अडिग खड़े हुए हैं। कांग्रेस आलाकमान भी जादूगर को छेड़ने से परहेज करता रहा है क्योंकि जादूगर का रुतबा कांग्रेस में बहुत बड़ा है। दूसरी तरफ विपक्ष में बैठी भाजपा इस बार फिर से सत्ता हासिल करने के लिए बेकरार है लेकिन अभी तक भी अपना चेहरा घोषित नहीं कर पाई है जबकि विधानसभा चुनावों में समय तेजी से कम होता जा रहा है। विगत दो बार से राजस्थान में बीजेपी ने महारानी को अपना चेहरा घोषित कर मैदान में भेजा और सफलता पाई थी लेकिन इस बार अभी तक राजस्थान भाजपा की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है और महारानी के अलावा राज्य में भाजपा का अन्य कोई नेता प्रदर्शन करता दिखाई नहीं दे रहा।
4 मार्च को वसुंधरा राजे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सालासर बालाजी महाराज के यहाँ से अपने जन्मदिन के बहाने हुंकार भरने की तैयारी कर रही है। इस आयोजन को हर प्रकार से सफल बनाने के लिए वसुंधरा राजे की टीम जबरदस्त मेहनत कर रही है और इसे उनका विराट शक्ति प्रदर्शन के बहाने भाजपा आलाकमान को स्पष्ट रूप से सन्देश होगा कि राजस्थान में वसुंधरा राजे ही नेता होगी अन्य कोई नहीं। पिछले साल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा स्पष्ट कह चुके हैं कि राजस्थान में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी लेकिन महारानी तो महारानी है वे किसी की मानने वाली नहीं है और अपनी बात मनवाने पर अडिग है ओर इसके लिए उन्होंने पिछले कुछ समय में अलग अलग जगहों पर अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया है ओर इसी कड़ी में 4 मार्च को भी सालासर बालाजी धाम में फिर से वे अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाएंगी जिस पर भाजपा आलाकमान नजरें गढ़ाए हुए है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक है और बीजेपी के पास वसुंधरा राजे से बड़ा,लोकप्रिय ओर मान्य चेहरा अभी दूर दूर तक नहीं है और सत्ता में वापसी करनी है तो महारानी को नजरअंदाज करने का जोखिम भाजपा को नहीं उठाना चाहिए या फिर किसी भी तरह वसुंधरा राजे को अपने विश्वास में लेना होगा अन्यथा सत्ता की मंजिल तक पहुँचना मुश्किल होगा। क्योंकि पिछले साल राजस्थान से गुजरने वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के विरोध में बीजेपी ने आनन फानन में जन आक्रोश यात्रा निकाली जो कि फ्लॉप रही। जिसका मुख्य कारण राजस्थान भाजपा में एकजुटता का अभाव था और बगैर रणनीति के यात्रा निकालना सफल नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में यदि इस साल सरकार बनाने में सफल नहीं होती है तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देगा इसलिए बीजेपी को समय रहते आपसी विवाद को जल्द समाप्त करना होगा क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस से बड़ा संकट बीजेपी का है और इसे हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। बहरहाल जो भी हो यह तो तय है कि आने वाला विधानसभा चुनाव बड़ा रोमांचक होने वाला है और इस चुनाव में जिसने धैर्य के साथ उदारता दिखाई वह निश्चित रूप से सत्ता की कुर्सी तक जाएगा फिर वह कोई भी हो।
(लेखक बालाजी टाइम्स के संपादक हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

















