– जेल अधिकारियों ने पीछे के दरवाजे से निकाला, लक्जरी कार से हुआ रवाना
पटना। बिहार के कुख्यात गैंगस्टर से राजनेता बने पूर्व सांसद आनंद मोहन को गुरुवार को बिहार की सहरसा संभागीय जेल से रिहा कर दिया गया। इसके एक दिन पहले पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी। जनहित याचिका में सरकार के आनंद मोहन तथा अन्य 26 अपराधियों को जेल से रिहा करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन की रिहाई का आदेश बुधवार को सहरसा जेल पहुंचा। उन्हें अगली सुबह जेल से मुक्त कर दिया गया।

आनंद मोहन की अगवानी के लिए सैकड़ों समर्थक सहरसा जेल के मुख्य द्वार के बाहर जमा हो गए थे। हालांकि, वह पिछले दरवाजे से बाहर आया और उसे एक लग्जरी कार में जाने की अनुमति दी गई। उसे सुरक्षा कारणों से सुबह 4.30 बजे के आसपास रिहा कर दिया गया। संभागीय जेल के एक अधिकारी ने कहा, हमें उसकी अगवानी के लिए बड़ी संख्या में समर्थकों के जमावड़े के बारे में जानकारी मिली थी।
आनंद 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद बुधवार को जेल लौटा था। उसकी रिहाई ने एक विवाद पैदा कर दिया है क्योंकि इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा नियमों में बदलाव किया गया था। उसके अलावा 26 अन्य दोषियों को भी रिहा किया गया है।
उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को रिहा करने के सरकार के फैसले के खिलाफ बुधवार को पटना हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई।
यह जनहित याचिका भीम आर्मी के भारत एकता मिशन के बिहार प्रभारी अमर ज्योति की ओर से दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि नीतीश कुमार सरकार ने गंभीर अपराधों के लिए सजा काट रहे उम्रकैद के दोषियों को फायदा पहुंचाने के लिए राज्य के जेल मैनुअल में बदलाव किया है। 24 अप्रैल को, कानून विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर संबंधित जेलों के अधीक्षकों को राज्य सरकार के हालिया फैसले के मद्देनजर दोषियों की स्थायी आधार पर रिहाई की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा।