
नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने के लिए 26 दलों के विपक्षी गठबंधन INDIA ने शुरुआती दो बैठकों में कुछ उम्मीद जगाई थी लेकिन हाल ही के कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आप के बीच दिल्ली और पंजाब के बाद राजस्थान और अब छत्तीसगढ में चुनाव लडने को लेकर गठबंधन में खींचतान शुरू हो गई है। उधर, शरद पवार के अपने भतीजे अजित पवार के साथ हाल ही की मुलाकातों से इस मराठा नेता के गठबंधन में बने रहने पर उहापोह की स्थिति है। विपक्षी दलों को न तो आप पर भरोसा है और न शरद पवार पर कि कब वे अपना स्टेंड बदल लें।
INDIA के गठन के पूर्व भारतीय राजनीति में केजरीवाल और कांग्रेस दो अलग धडे नजर आ रहे थे। कांग्रेस आप पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाती रही है। जहां कांग्रेस के दिल्ली के नेता आप के साथ गठबंधन में शामिल होने के खिलाफ थे वहीं केजरीवाल ने भी दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने की कांग्रेस के सामने शर्त रख दी थी। हालांकि कांग्रेस ने विपक्षी एकता के लिए आप की यह शर्त मान ली और इस विधेयक का विरोध भी किया इसके बावजूद भी यह विधेयक पारित हो गया।
उल्लेखनीय है कि हालाँकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के विधेयक को समर्थन के वायदे के बाद भाजपा विरोधी समूह INDIA में शामिल हो गए लेकिन अन्य विपक्षी दल उनसे सावधान ही रहते हैं। विपक्षी दल मानते हैं कि उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। इस गुट में एक वर्ग है जो आश्वस्त है कि केजरीवाल दिल्ली सेवा विधेयक के पारित होने के बाद इंडिया गठबंधन से कभी भी किनारा कर सकते हैं। उनका मानना है कि केजरीवाल विधेयक के विरोध में विपक्षी दलों के समर्थन के लिए ही इंडिया गठबंधन से जुडे थे लेकिन भारतीय राजनीति में उनकी नीती एकला चालो की है। विपक्षी गठबंधन में दरार डालने का हरसंभव प्रयास कर रही भाजपा का भी अनुमान है कि केजरीवाल को कभी भी अकेले चुनाव लडने के लिए राजी किया जा सकता है। इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि केजरीवाल ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और इसकी आवश्यकता और समान नागरिक संहित सहित कई मुद्दों पर मोदी सरकार का समर्थन किया है।
कांग्रेस और आप के बीच जारी तनाव शनिवार को तो खुलकर सामने आ गया। कांग्रेस ने शनिवार को छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार की आलोचना के लिए आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर पलटवार किया और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में अपनी मौजूदा सरकार के साथ पिछली शीला दीक्षित सरकार के प्रदर्शन की तुलना करने की चुनौती दे दी। कांग्रेस की यह तीखी प्रतिक्रिया तब आई जब केजरीवाल ने छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की स्थिति की आलोचना की। केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथं रायपुर में आप कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होने गए थे। कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि पहले दिल्ली की जमीनी स्थिति के बारे में बात करें जहां पूरा शहर रसातल में जा रहा है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, कांग्रेस नेता अलका लांबा की उस टिप्पणी को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद उभर आए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लडने की तैयारी करना चाह रही है। जवाब में आप ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि अगर सबसे पुरानी पार्टी चुनाव में अकेले जाना चाह रही है तो INDIA गठबंधन का मतलब ही क्या है। कांग्रेस ने बाद में स्पष्ट किया था कि गठबंधन और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में वह कितनी सीटों पर लड़ेगी, इस बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है।