
-देवेन्द्र यादव-

2024 के विधानसभा चुनाव में भाई और बहन के राजनीतिक झगडे के चलते आंध्र प्रदेश की सत्ता को गंवाने के बाद क्या जगन मोहन रेड्डी अब इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनेंगे?
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनेंगे या नहीं इस पर बात करने से पहले, इस पर बात करें कि आखिर जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश की सत्ता से बाहर क्यों हुए।
क्या जगनमोहन रेड्डी और कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी और तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू के जाल में फस गए थे।
जगन मोहन रेड्डी के हाथों में आंध्र प्रदेश की सत्ता ही नहीं थी बल्कि आंध्र प्रदेश की लोकसभा और राज्यसभा की सीट भी बड़ी संख्या में थी। इसीलिए जगनमोहन रेड्डी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे दुलारे मुख्यमंत्री थे। राज्यसभा में भाजपा नीत गठबंधन मजबूती के साथ खड़ा दिखाई दे रहा था उसे मजबूती में सबसे बड़ा योगदान जगनमोहन रेड्डी की पार्टी का था।
देश में नरेंद्र मोदी की और आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की हवा थी, और इसी भ्रम में जगनमोहन रेड्डी भारतीय जनता पार्टी और चंद्रबाबू नायडू के जाल में फंस गए और अपनी सरकार को गवा बैठे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों ने पासा पलट दिया और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देसम सत्ता पर काबिज हो गई और बड़ी संख्या में लोकसभा की सीट भी जीत ली। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास जगनमोहन रेड्डी की जगह चंद्रबाबू नायडू हो गए।
बल्कि यूं कहें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चंद्रबाबू नायडू जगन मोहन रेड्डी से कहीं अधिक खास नेता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को 18वीं लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला और उसे तेलुगु देशम पार्टी का समर्थन लेना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जगनमोहन रेड्डी की जगह चंद्रबाबू नायडू कितने खास हैं इसका एहसास रेडी को दिल्ली पहुंचकर हो गया होगा। और शायद इसीलिए अब राजनीतिक गलियारों से खबर सुनाई दे रही है कि जगन मोहन रेड्डी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के लिए भले ही इस वक्त चंद्रबाबू नायडू मजबूत नेता है मगर जगनमोहन रेड्डी भी अभी कमजोर नहीं है उनके पास राज्यसभा की 11 और लोकसभा की चार सीट हैं।
भारतीय जनता पार्टी को राज्यसभा में जगन मोहन रेड्डी के सहारे की जरूरत पड़ेगी।
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के लिए जितने मजबूत नेता चंद्रबाबू नायडू हैं राज्यसभा में उतने ही मजबूत नेता जगनमोहन रेड्डी है।
जगन मोहन रेड्डी के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की अटकलें इसलिए सुनाई दी क्योंकि जगन मोहन रेड्डी से अखिलेश यादव और संजय रावत जैसे नेता मिले। इंडिया गठबंधन के अधिकांश नेता चाहते हैं कि जगनमोहन रेड्डी गठबंधन का हिस्सा बने मगर इंतजार है प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और जगनमोहन रेड्डी की मुलाकात का। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जिस दिन जगन मोहन रेड्डी और राहुल गांधी की मुलाकात हो जाएगी उसी दिन जगनमोहन रेड्डी इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाएंगे।
अब बात करते हैं कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और चंद्रबाबू नायडू के जाल में फंसकर अपना नुकसान कैसे किया। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपना प्रदेश अध्यक्ष बदलकर जगनमोहन रेड्डी की बहन शर्मिला को अपनी पार्टी में शामिल कर प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाई बहन के राजनीतिक झगड़े का लाभ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिल जाएगा। मगर हुआ उल्टा। इससे कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में बड़ा नुकसान हुआ।
आंध्र प्रदेश की जनता जगन मोहन रेड्डी का विकल्प कांग्रेस को मानती थी मगर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने गलती की और उन्होंने आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला के हाथों में दी।
क्योंकि आंध्र प्रदेश की जनता में जो नाराजगी जगनमोहन रेड्डी से थी, इसका असर कांग्रेस पर शर्मिला को अध्यक्ष बनाने से पड़ा क्योंकि जगन मोहन रेड्डी और शर्मिला के बीच आपस की नाराजगी है मगर परिवार तो एक ही है। जनता का जगनमोहन रेड्डी के प्रति नाराजगी का फायदा कांग्रेस को मिलता मगर कांग्रेस ने शर्मिला को कांग्रेस में शामिल करवा कर प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उस अवसर को गंवा दिया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)