जेपी नड्डा का यह कैसा चुनावी आगाज!

भरतपुर की अपनी जनसभा में जेपी नड्डा यह तो गिना गए कि पेयजल की दृष्टि से बने जल जीवन मिशन के लिए केंद्र सरकार के सबसे ज्यादा पैसा राजस्थान को दिये जाने के बावजूद राजस्थान की उपलब्धि सबसे कम रही है और वह 32 राज्यों में से 29वें पायदान पर है लेकिन साथ ही वे इस नहर परियोजना के मसले को गौण कर गए। वैसे न केवल जेपी नड्डा बल्कि श्रीमती वसुंधरा राजे और प्रदेश के अन्य भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की इस पर चुप्पी असाधारण है।

-पूर्वी राजस्थान में जनसभा करके भी इसी अंचल के 13 जिलों की महत्वकांक्षी परियोजना पर एक शब्द भी नहीं बोले

-कृष्ण बलदेव हाडा-

kbs hada
कृष्ण बलदेव हाडा

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा पूर्वी राजस्थान के भरतपुर में गुरुवार को एक जनसभा कर गए जिसे इसी साल के अंत में संभावित राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर उनके प्रदेश में चुनावी आगाज के रूप में देखा जा रहा है लेकिन जेपी नड्डा का यह कैसा आगाज और वह भी भरतपुर में जो उसी पूर्वी राजस्थान के उन 13 जिलों का हिस्सा है जहां की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी सिंचाई एवं पेयजल परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की राह में उनकी ही पार्टी की केंद्र सरकार रोड़े अटकाये खड़ी है और रोड़े अटकाने की इस रणनीति में सबसे अहम हिस्सेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की है जो लोकसभा में प्रतिनिधित्व तो राजस्थान के जोधपुर से ही करते हैं और केंद्रीय कैबिनेट में एक प्रमुख सदस्य भी हैं लेकिन उन्होंने बीते चार साल से भी अधिक समय में एक बार भी राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी-संगठन के मंच पर या मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री मंत्रिमंडल की किसी बैठक में इस मसले को नहीं उठाया, जबकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाए जाने के बाद पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लाखों किसान परिवार लाभान्वित होने वाले हैं और ऎसे में यदि इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना दिलवाने में कोई सहयोग किया गया तो निश्चित रूप से इसका राजनीतिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा।
राज्य के आधे से कुछ कम हिस्से के किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) है जिसके एक बार बनकर तैयार हो जाने के बाद राजस्थान के 13 जिलों जिनमें हाडोती संभाग के कोटा, बूंदी,बारां, झालावाड़ जिलों सहित सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल है, के लाखों किसान लाभान्वित होंगे क्योंकि इससे न केवल इन 13 जिलों की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित कर वहां की कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ाने और किसानों को आर्थिक समृद्धि दिलवाने के साथ इन सभी जिलों में भूमिगत जल स्तर के काफी गहरे चले जाने के कारण प्यासे रह रहे हजारों-लाखों लोगों के कंठ की प्यास बुझ सकेगी।
जेपी नड्डा भरतपुर में जनसभा करके इस महत्वपूर्ण मसले पर अपना मौन साध कर राज्य सरकार के खिलाफ जब अपने तरकस से तीर चला रहे थे, तब मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे भी मौजूद थी जिनके ही मुख्यमंत्री के रूप में पिछले कार्यकाल के दौरान इस अति महत्वकांक्षी परियोजना को मंजूरी मिली थी क्योंकि श्रीमती राजे इस परियोजना से राज्य के 13 जिलों के लोगों को मिलने वाले लाभ के बारे में अच्छे से जानती थी। जेपी नड्डा तो ईआरसीपी पर एक शब्द भी नहीं बोले मगर श्रीमती राजे भी न केवल इसी मंच पर बल्कि बीते साढ़े चार सालों में कभी भी इस परियोजना के संबंध में केंद्र सरकार के समक्ष किसानों की कोई दलील पेश कर पाने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है।
भरतपुर की अपनी जनसभा में जेपी नड्डा यह तो गिना गए कि पेयजल की दृष्टि से बने जल जीवन मिशन के लिए केंद्र सरकार के सबसे ज्यादा पैसा राजस्थान को दिये जाने के बावजूद राजस्थान की उपलब्धि सबसे कम रही है और वह 32 राज्यों में से 29वें पायदान पर है लेकिन साथ ही वे इस नहर परियोजना के मसले को गौण कर गए। वैसे न केवल जेपी नड्डा बल्कि श्रीमती वसुंधरा राजे और प्रदेश के अन्य भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की इस पर चुप्पी असाधारण है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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