नीति आयोग की बैठक में दिखाई देगी विपक्षी एकता !

नई दिल्ली। कृषि, मनरेगा फण्ड, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों को लेकर गैर भाजपा नीत राज्य सरकारें केन्द्र से खफा हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि केन्द्र सरकार से इन मुद्दों को लेकर मनमुटाव की वजह से जिन राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं वे एकजुट होकर केंद्र की खिलाफत करने की तैयारी में हैं। ऐसे ही राज्यों से जुड़े कई मामलों पर नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की आगामी बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों के अधिकांश मुख्यमंत्रियों के एक साथ आने की उम्मीद है।

केंद्र ने 27 मई को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक बुलाई है। प्रधानमंत्री मोदी परिषद के अध्यक्ष भी हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि जब 2024 के संसदीय चुनावों के लिए विपक्षी एकता बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, तो पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे गैर-बीजेपी शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री एकता दिखाने के लिए इस मीटिंग में भाग ले सकते हैं।

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, मैं हिस्सा लूंगी। राज्य के मुद्दों को उजागर करने के लिए कोई अन्य मंच नहीं है। भले ही मुझे अंत में ही बोलने की अनुमति दी जाए। मैं पश्चिम बंगाल से संबंधित कई मामलों को आगे बढ़ा रही हूं और मैं उन पर प्रकाश डालूंगी।” पिछले साल ममता ने कोलकाता में चक्रवात की स्थिति का हवाला देते हुए नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक बीच में ही छोड़ दी थी।

चर्चा यह है कि 27 मई को प्रमुख विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक भी होने की उम्मीद है, जिसमें विपक्षी एकता और 2024 के संसदीय चुनावों में भाजपा से निपटने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

विपक्ष के एक सूत्र ने कहा, विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों से विभिन्न मुद्दों पर बैठक में एक संयुक्त मोर्चा बनाने की उम्मीद है, जो 2024 के चुनावों के लिए इस तरह के समन्वय के बड़े उद्देश्य को दर्शाता है। ममता बनर्जी के अलावा बिहार, झारखंड, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब और राजस्थान के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हो सकते हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले यह नीति आयोग की आखिरी बैठक होगी। इसलिए विपक्षी एकता का महत्व है। नीति आयोग का शासी निकाय राष्ट्रीय विकास एजेंडा के कार्यान्वयन को गति देने के लिए अंतर-क्षेत्रीय, अंतर-विभागीय और संघीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक खुला मंच प्रस्तुत करते हुए, सहकारी संघवाद के उद्देश्यों को समाहित करता है।

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