बदल सकते हैं बिहार के राजनीतिक समीकरण !

बिहार में कुशवाहा वोट 13 प्रतिशत है जिन पर उपेंद्र कुशवाहा की पकड़ मजबूत ह।ै वहीं नीतीश कुमार कुर्मी बिरादरी से आते हैं जो महज 4 प्रतिशत है।लेकिन सत्ता के शीर्ष पर या बिहार की कैबिनेट में कुर्मी बिरादरी का वर्चस्व है इसलिए उपेंद्र कुशवाहा अपने बड़े भाई नीतीश कुमार से सत्ता में हिस्सेदारी मांगते हैं।

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उपेन्द्र कुशवाह एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए। फोटो सोशल मीडिया

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

(बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार)

पटना। बिहार की राजनीति और जनता दल यूनाइटेट में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। नीतीश कुमार को एक ओर अपने गठबंधन के सहयोगियों की तानाकशी का सामना करना पड रहा है तो दूसरी ओर उनकी पार्टी के अंदर अब उपेन्द्र कुशवाह चुनौती दे रहे हैं।
एक तरफ़ जनता दल युनाइटेड के नेता यह कहते नहीं अघाते कि पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा को बहुत कुछ दिया उन्होंने पार्टी को क्या दिया? दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा मीडिया को बार-बार यह कह रहे हैं कि मैं अपनी हिस्सेदारी लिए बिना कहीं जाने वाला नहीं हूं। जब मीडिया कर्मियों ने उपेंद्र कुशवाहा से यह सवाल किया कि आप जदयू से किस तरह की हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं, तो उनका जवाब था कि जिस तरह 12 फरवरी 1994 में नीतीश कुमार अपने बड़े भाई लालू प्रसाद यादव से हिस्सा मांग रहे थे ठीक उसी तरह से हम नीतीश कुमार से अपना हिस्सेदारी चाहते हैं।
ज्ञात हो कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव दोनों ही जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का उपज हैं। दोनों ने जनता दल में साथ साथ काम किया लेकिन जब लालू प्रसाद यादव ने जनतादल से अलग अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बना ली और 1990 से 2004 तक यानी 15 सालों तक बिहार पर राज किया उस समय मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर यह आरोप लगा रहे थे कि राष्ट्रीय जनतादल में सिर्फ यादवों की पार्टी है। लालू यादव अन्य पिछड़े जातियों कुर्मी, कोईरी धानुक,खतबे और अगड़ी जातियों को उपेक्षा कर रहे हैं। एक दशक के लंबे संघर्ष के बाद नीतीश कुमार 2005 में लालू यादव को चुनाव में शिकस्त दे पाए थे तब से अब तक नीतीश कुमार ही सीएम रहे हैं।

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पटना में संवाददाताओं से बातचीत करते उपेन्द्र कुशवाहा। फोटो सोशल मीडिया

उस वक्त नीतीश कुमार भी लालू जी से सत्ता में अपना हिस्सेदारी मांग रहे थे। ठीक उसी तरह उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री से अपना हिस्सा मांग रहे हैं। जानकारों की मानें तो बिहार में कुशवाहा वोट 13 प्रतिशत है जिन पर उपेंद्र कुशवाहा की पकड़ मजबूत ह।ै वहीं नीतीश कुमार कुर्मी बिरादरी से आते हैं जो महज 4 प्रतिशत है।लेकिन सत्ता के शीर्ष पर या बिहार की कैबिनेट में कुर्मी बिरादरी का वर्चस्व है इसलिए उपेंद्र कुशवाहा अपने बड़े भाई नीतीश कुमार से सत्ता में हिस्सेदारी मांगते हैं।
बहरहाल बिहार की राजनीति में हर दिन कुछ न कुछ नया घटित होता है। जब से बिहार में महागठबंधन सत्ता में आई है, तब से बिहार में राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है। जहाँ सरकार बनते ही राष्ट्रीय जनतादल और जदयू नेताओं के बीच तीखी बयानबजी शुरू हो गए वही ं जनता दल यूनाइटेड के अंदर ही सिरफुटौवल शुरू हो गया है। जहाँ मीडिया के माध्यम से यह कह रहे हैं कि कुशवाहा को हम अपना मानते हैं, उन्हें यदि कुछ कहना है तो वह पार्टी फोरम में कहें वही उपेंद्र कुशवाहा का आरोप है कि हमे संसदीय दल का अध्यक्ष बनाकर झुनझुना पकड़ा दिया गया। मुझे ना किसी पार्टी की मीटिंग में बुलाया जाता है, ना हमें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। हमारे कार्यकर्ता और नेता मायूस हैं, चिंतित हैं।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हमें कभी फोन के माध्यम से संपर्क नहीं किए। वह कुछ चुनिंदा लोगों के इशारे पर काम कर रहे हैं। राजद के साथ क्या डील हुई है इसके बारे में बातचीत होना चाहिए। हम हमेशा नीतीश कुमार के साथ खड़े रहे जब पार्टी की कोई नेता कुछ नहीं बोला था जब राष्ट्रीय जनता दल के नेता और मंत्री नीतीश कुमार को भीखमंगा , शिखंडी, पलटूराम ना जाने क्या-क्या कहा करते थे उस वक्त मै अकेला खड़ा था? जनता दल यूनाइटेड में मचे घमासान को राष्ट्रीय जनता दल उनका अंदरूनी मामला बता रहे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी भविष्य में नीतीश कुमार को अपने साथ गठबंधन में नहीं शामिल करने का निर्णय ले लिया है। इससेे प्रतीत हो रहा है कि आने वाले समय में जनता दल यूनाइटेड में टूट हो सकती है और बिहार के राजनीतिक समीकरण बदल सकते है?

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