
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा जिले के सांगोद क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक व पूर्व केबीनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने अवैध खनन की लगातार अनदेखी करने के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धृतराष्ट्र तो बिना नाम लिए हुए राज्य के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया को ‘कमाउ पूत’ की संज्ञा दी।
श्री भरत सिंह ने बारां जिले के अंता क्षैत्र के खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग के मसले को लेकर आज कोटा के प्रभारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा को लिखे एक पत्र में कहा कि वे लगातार हाडोती संभाग सहित राजस्थान में अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने के मसले को उठाते हुए कोटा-बारां जिलों की सरहद पर स्थित खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी इस मांग को लगातार अनदेखी की जा रही है। श्री भरत सिंह ने कहा कि अंता विधानसभा क्षेत्र की सीमा में वर्तमान में शामिल यह गांव खान की झोपड़िया वर्तमान में खनन माफियाओं का प्रमुख केंद्र है जहां व्यापक पैमाने पर अवैध रूप से खनन कार्य किया जा रहा है, जबकि यहां एक भी वैध खान नहीं है। इसके बावजूद यह खनन पिछले कई वर्षों से लगातार जारी है। इस बारे में वे मुख्यमंत्री को भी कई बार पत्र लिख चुके हैं लेकिन इस मामले की कोई सुनवाई नहीं हुई है।
मौके पर जाकर खुद खान की झोपड़िया गांव का करें अवलोकन
श्री भरत सिंह ने कहा कि कोटा के प्रभारी मंत्री श्री मीणा को समय निकालकर मौके पर जाकर खुद खान की झोपड़िया गांव का अवलोकन करना चाहिए तो उन्हें यह स्पष्ट समझ में आ जाएगा कि यह गांव भौगोलिक दृष्टि के लिहाज से हर स्थिति में कोटा जिले का हिस्सा है ना कि बारां जिले का। उल्लेखनीय है कि पूर्व में श्री भरत सिंह के आग्रह पर बारां जिले के प्रभारी मंत्री सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ्ढा ने हाल ही में खान की झोपड़ी गांव का अवलोकन किया था और मौके पर वहां की भौगोलिक स्थिति देखने के बाद यह कहा था कि बड़े आश्चर्य की बात है कि यह गांव बारां जिले में क्यों हैं?
तकनीकी खामी की वजह से यह गांव बारां जिले में शामिल कर लिया
इस मसले को बार-बार उठाए जाने के बाद बाद कोटा के एक संभागीय आयुक्त ने भी इस प्रकरण की जांच की थी और इस भौगोलिक स्थिति का सत्यापन किया था कि तकनीकी खामी की वजह से यह गांव बारां जिले में शामिल कर लिया गया है जबकि इसे कोटा जिले में होना चाहिए। श्री भरत सिंह का कहना है कि इस प्रशासनिक रिपोर्ट के बावजूद खान की झोपड़िया गांव को बारां जिले का ही अभी तक हिस्सा बने रहने दिया जा रहा है जबकि वह कोटा जिले में होना चाहिए। श्री भरत सिंह ने कोटा के प्रभारी मंत्री को भेजे इस पत्र में यह भी कहा है कि वे 23 जनवरी को अवैध खनन को रोकने की मांग सहित खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के संकल्प की अनुपालन के तहत ही इस धरना-प्रदर्शन का आयोजन करने जा रहे हैं। बारां में आयोजित होने वाला यह धरना-प्रदर्शन वहां के भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ है और मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो नीति के तहत ही इसका आयोजन किया जा रहा है।
श्री भरत सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि- “जनता को यह साफ दिखाई दे रहा है कि एक भ्रष्ट मंत्री को सरकार पूरा संरक्षण प्रदान कर रही है। जनता को आंदोलन करने पर के लिए उकसा रही है। मुख्यमंत्री जी ने धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रखी है। कमाऊ पूत को बचाने का यह कदम घातक साबित होगा।” हालांकि इस पत्र में श्री भरत सिंह ने खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया का नाम नहीं लिया लेकिन खान की झोपड़े मसले को लेकर लिखे गए इस पत्र में उनका इशारा श्री जैन की ओर ही था है। पूर्व में भी वे मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को भेजे अपने पत्रों में प्रमोद जैन पर प्रदेश का कथित रूप से सबसे भ्रष्ट मंत्री होने का आरोप लगा चुके हैं। श्री भरत सिंह ने अपने इस पत्र की प्रति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित राजस्थान के नए प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी भेजी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)
अभी कुछ दिन पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी के सामने ये स्वीकारा था कि उनकी सरकार द्वारा प्रयास करने के बाद भी वो अवैध खनन को रोक नहीं पाए। यहां बारां जिले में उनके मंत्री पर ही ये आरोप हैं की वो अवैध खनन को बढ़ावा देते हैं जिस से धन कमाया जा सके। अगर अशोक गहलोत अवैध खनन रोकने के प्रति ईमानदार हैं तो उनको खान की खोंपड़िया गांव को कोटा जिले में दे देना चाहिए