
-देवेंद्र यादव-

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान में एक दशक बाद 8 सीटों पर मिली सफलता से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा खुशी और उत्साहित नजर आ रहे हैं, मगर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मायूस नजर आ रहे हैं। गहलोत की मायूसी का यह कारण नहीं है कि, उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 2019 में कांग्रेस ने राजस्थान की सभी 25 सीटें हारी थी, और उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कांग्रेस ने राजस्थान में 25 में से 8 सीट जीत ली। गहलोत की मायूसी का कारण उनके बेटे वैभव गहलोत की लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार हार है।
राजस्थान कांग्रेस में एक दशक से असली किंग कौन, यह राजनीतिक विवाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चला आ रहा है, और इस विवाद के चलते सचिन पायलट राजस्थान छोड़कर कांग्रेस का राष्ट्रीय महामंत्री बनकर दिल्ली चले गए। दिल्ली पहुंचकर सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाई और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने मन मुताबिक कार्यकर्ताओं को टिकट दिलवाया और उन्हें जितवाया भी।
मगर अशोक गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत को भी जालौर से चुनाव नहीं जितवा सके जबकि अशोक गहलोत ने परिवार सहित जालौर में पडाव डाल रखा था।
राजस्थान में कांग्रेस को मिली सफलता से सचिन पायलट के समर्थक अधिक उत्साहित हैं, और सवाल खड़ा हो गया कि अब गहलोत क्या करेंगे, क्योंकि सचिन पायलट पार्टी हाई कमान को विभिन्न अवसरों पर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कर रहे हैं। सचिन पायलट ने पहली बार 2018 में पार्टी हाई कमान को राजस्थान में अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराया था कांग्रेस की सरकार बनवा कर मगर सचिन पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
सचिन पायलट ने पार्टी हाई कमान को 2024 के लोकसभा चुनाव में 8 सीट जितवाकर एक बार फिर से अपनी राजनीतिक ताकत दिखाई है।
शायद अशोक गहलोत की मायूसी का एक कारण यह भी हो सकता है कि राजस्थान में कांग्रेस ने जिन 8 सीटों को जीता है, उन सीटों पर खड़े हुए प्रत्याशी सचिन पायलट के समर्थक हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी सहित कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने अशोक गहलोत सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का जमकर प्रचार किया, मगर राजस्थान के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत की जनकल्याणकारी नीतियां भी कांग्रेस के काम नहीं आई और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को हराकर अपनी सरकार बना ली थी ?
राजस्थान में कांग्रेस की हार का एक कारण अशोक गहलोत की जनकल्याणकारी नीति भी थी क्योंकि अशोक गहलोत को गुमान हो गया था कि वह अपनी जनकल्याणकारी नीतियों के कारण लगातार दूसरी बार सत्ता में आ जाएंगे और इस कारण अशोक गहलोत ने पार्टी हाई कमान की एक भी बात नहीं मानी और अपने मन मुताबिक लोगों को विधानसभा का टिकट दे दिया और कांग्रेस चुनाव हार गई। यदि पार्टी हाई कमान की बात गहलोत मान गए होते तो राजस्थान में लगातार दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बन सकती थी।
मगर अब बात लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस द्वारा एक दशक बाद जीती 8 सीटों की है। इन सीटों की चर्चा देश भर में हो रही है क्योंकि राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों को उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस राजस्थान में 8 सीट जीत लेगी ?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)