parvati river
पार्वती नदी

सावन कुमार टॉक
कोटा। कोटा जिले के अन्तिम छोर पर राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा रेखा पर कभी अपने तीव्र वेग में कलकल बहती पार्वती नदी पर पुलिया का निर्माण अभिशाप लेकर आया। धीरे-धीरे पार्वती नदी का स्वरूप खोता चला गया। दो राज्यों की सीमा पर स्थित यह नदी अपने चौड़े पाट के लिए जानी जाती थी।जैसा इसका नाम है उसी अनुरूप यहां सूंडी नामक टापू पर शिव मन्दिर है और गोद में गणपति विराज रहे हैं। पुलिया निर्माण के समय तकनीकी खामियों के कारण राजस्थान की और से इसका पाट सिकुड़ता चला गया और जिन घाटों पर पानी की प्रचुरता रहती थी आज वह घाट मिट्टी में दबे हुए हैं।

सावन कुमार टॉक

पुलिया में मौखे अधिक छोड़े जाते तो नदी का प्राकृतिक स्वरूप बना रहता

वर्तमान में एक रामघाट ही है जहां थोड़ा पानी रहता है। यहीं लोगों की आवाजाही रहती है। लेकिन पिछले कुछ माह से नदी में मगरमच्छ आने व एक युवक की मगर के हमले में मौत के कारण लोगों में नदी की ओर आवाजाही कम ही हो गई है। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने इस नदी पर पुलिया के लिए राशि मंजूर कर निर्माण शुरू भी करवा दिया लेकिन दो वर्ष गुजरने के बाद भी पुलिया का काम अधूरा ही है। स्थानीय निवासियों में भी नदी का स्वरूप बिगाडऩे पर रोष है। गामीणों का कहना है कि पुलिया में मौखे अधिक छोड़े जाते तो आज भी नदी का प्राकृतिक स्वरूप बना रहता

धीरे-धीरे नदी का पाट सिकड़ता गया

खातौली निवासी बुजुर्ग बजरंगदास बैरागी बताते है कि पार्वती नदी में पहले एक पक्की रपट हुआ करती थी जिसका निर्माण रियासत काल में ठिकाने के समय हुआ था। बरसात को छोड़ बाकी के 8 महिने इसी से आवाजाही रहती थी। राजस्थान सरकार ने सन 1995-96 में पार्वती नदी पर पुलिया बनाई उसकी ऊंचाई केवल 25 फीट थी। मौखे भी नदी के पाट के अनुरूप नहीं बनाएँ केवल 17 ही मौखे छोड़े गए, जिसमें भी राजस्थान की और काफी कम मौखे होने से धीरे-धीरे नदी का पाट सिकड़ता गया व स्वरूप खो गया।

10 घाट मिट्टी में दब गए

पार्वती नदी पर पुलिया का निर्माण कार्य

ऐतिहासिक 11 घाटों गणेश घाट, थाग घाट, नाव घाट, बणिया घाट, कोट घाट, छोटी तिवारी, बड़ी तिवारी, लंगोट घाट, रामघाट, बुज घाट व कखरेला घाट में से वर्तमान में रामघाट पर ही पानी है। दूसरे 10 घाट तो मिट्टी में दब गए हैं। पानी का बहाव राजस्थान की तरफ कम हो गया है। रामघाट पर महिला और पुरुषों को मजबूरी में एक साथ स्नान करना पड़ रहा है। मर्यादा भंग होने के साथ ही स्थिति यह है कि महिलाओं के वस्त्र बदलने के लिए कोई स्थान नहीं है। जबकि पहले तिवारी घाटों पर महिलाओं के स्नान व कपड़े बदलने के लिए बाथरूम नुमा लम्बा चौड़ा भवन बना हुआ था। पुरूषों के स्नान के लिए भी पास ही अलग से तिवारी घाट था। जो आज पानी के अभाव में मिट्टी में आधे दब चुके हैं। ग्रामीणों ने तो यह भी बताया कि एक तिबारी घाट में शिव परिवार था व झरना भी झरता था। महिला तिबारी में गणेश जी की प्राचीन प्रतिमा है। जो मिट्टी में दबी हुई है। इस बात की पुष्टी मनरेगा में यहां काम करवा चुके युवक भगवान और नदी के पास निवास करने वाले हरिमोहन भी करते हैं। भगवान ने बताया कि ग्राम पंचायत ने मनरेगा के तहत यहां घाटों की सफाई का काम करवाया था । उस समय खुदाई में गणेश जी व शिव परिवार की प्रतिमाएं निकली थीं। श्री गणेश प्रतिमा के नीचे तो कूट भाषा में एक पत्थर पर कुछ लिखा हुआ था और शिव परिवार की प्रतिमाएं खण्डित हो गई थीं।

पार्वती नदी का बचाने की मांग

15 से 17 हजार की आबादी वाले खातौली कस्बे के निवासियों की वर्तमान में मुख्य मांग लुप्त होती जा रही पार्वती नदी का बचाने की है। शब्बीर मोहम्मद बताते हैं कि पार्वती में पानी भी प्रचुर मात्रा है। पुलिया के कुछ मौखे राजस्थान की और बढ़ा दिए जाएं तो नदी को पुनरू अपने मूल स्वरूप में लाया जा सकता है। नदी के लिए जन आन्दोलन भी करना पड़े तो किया जाएगा।

घडियाल बने परेशानी

पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा ने कोटा से वाया खातौली होते हुए सवाई माधोपुर जाने वाले मार्ग पर चंबल नदी पर पुलिया निर्माण के लिए सरकार से 177 करोड़ का बजट पास करवाया है। घडिय़ाल क्षेत्र के कारण मामला केंद्र में अटका हुआ है। साथ ही दो माह पहले खातौली में व दो दिन पूर्व पास के जटवाडा गांव में एक-एक युवक को मगरमच्छ ने शिकार बना लिया

– टापू पर स्थित है शिवालय

पार्वती नदी में सूंडी नामक टापू पर शिवालय स्थित है। जहां लोगों को पानी में होकर या नाव में बैठ कर जाना पड़ता है। समाजसेवी हनुमान प्रसाद गुप्ता ने यहां पक्के बरामदों का निर्माण करवाया है। जिससे कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को रूकने में परेशानी नहीं हो व रामायण व अन्य पाठ भी बरसात के दौरान भी निर्विघ्न सम्पन्न हो सके।

– पार्वती नदी की गोद में विराज रहे है गणपति

पार्वती नदी में विराज रहे गणेश जी

पार्वती नदी को गोद में आदमकद गणेश प्रतिमा स्थित है। जिनका पूजन कस्बे के ही भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है। पुजारी कपिल शर्मा न बताया कि पुलिया निर्माण के दौरान थोड़ी सावधानी बरत कर एप्रोच वॉल को कम कर मौखे अधिक छोड़े जाते तो नदी आज भी अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही नजर आती।

-होने लगी खेती

नदी का पाट घटने से राजस्थान के खातौली की और जहां पहले घाट हुआ करते थे आज वहां लोगों ने खेती करना शुरू कर दिया है। जमीन नजर आती देख रसूखदारों ने भी अपने हाली ग्वालों के नाम से खेतों का जुर्माना तहसील में जमा करना शुरू कर जमीन से मोटी कमाई प्राप्त करना शुरू कर दिया है।

ग्रामिण कहिन…

– पुलिया बनने से आस बंध रही
अब पार्वती पर पुलिया का निर्माण हो रहा है उससे नदी का पाट बढऩे की उम्मीद है। ऊंचाई बढऩे से पार्वती नदी के जो घाट वर्तमान में मिट्टी में दब चुके हैं उनके भी बाहर निकलने की आस बंध रही है। बरसात के समय में लोगों को मार्ग अवरूद्ध होने का समस्या से भी निजात मिल सकेगी। प्रशासन राजस्थान की तरफ जल स्वावलंबन के तहत काम करा प्राकृतिक संपदा को बचा सकता है।
– ब्रजेश कंसाना, स्थानीय निवासी

— मगरमच्छ की दहशत
पुलिया निर्माण के समय ग्रामीणों ने मौखे कम होने की शिकायत की थी। विभाग तथा जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया फिर जब पुलिया निर्माण होने लगा तब राजस्थान साइड एप्रोच वाल की लंबाई ज्यादा होने और मौखे कम होने से नदी के किनारे बने अतिप्राचीन घाट मिट्टी में दब गए। अब तो वहां मगरमच्छ होने से लोगों ने नदी पर जाना ही छोड़ दिया है।

– अंजनी कुमार शर्मा, स्थानीय निवासी

(लेखक सावन कुमार टॉक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में रिपोर्टर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति पर विशेष नजर रहती है।)

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शक्तिराज सिंह हाड़ा
शक्तिराज सिंह हाड़ा
2 years ago

निर्माण कार्य व सुगमता के चलते प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को दरकिनार कर सरकार विकास कर रही है या विनाश ? पार्वती नदी की दयनीय दशा की ओर ध्यान आकर्षित करती यह रिपोर्ट जनप्रतिनिधियों को पार्वती नदी का स्वरूप सुधारने के लिए प्रेरित करें बहुत अच्छा प्रयास धन्यवाद।

सुमित यादव
सुमित यादव
2 years ago

बहुत सुंदर दैनिक जननायक के पत्रकार सावन कुमार टांक के द्वारा पार्वती नदी का बहुत अच्छा वर्णन????????

Yashpal yadav
Yashpal yadav
2 years ago

सावन टाकं द्वारा पार्वती नदी के प्राचीन इतिहास से लेकर वर्तमान परिस्थितियों एवं नव निर्मित पुलिया से परेशानी झेल रही खतोली की जनता एवम अस्तितव् खो रही पार्वती का सुंदर तरीके से वर्णन

Arvind gautam
Arvind gautam
2 years ago

Janpratinidhiyon ko chahiye ki Parwati ndi ka purana sawroop lane ke pryas ho, story ke madhyam se jan jagrti ka achcha pryas kiya gya he. Good work