-कोटा की सड़कों पर विचरते आवारा मवेशी साबित हो रहे जानलेवा
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान के कोटा में इस हफ़्ते के पहले दो दिनों में आवारा मवेशियों के कारण हुई दो मौतों के मामले को लेकर एक बार फिर से शहर के आबादी क्षेत्र में आवारा मवेशियों के विचरण और उनके कारण होने वाले हादसों का मामला तूल पकड़ने लगा है। हालांकि स्वायत्तशासी निकाय आवारा मवेशियों की धरपकड़ कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोटा नगर निगम (दक्षिण) के कैथूनीपोल क्षैत्र के उस वार्ड में एक सांड ने रविवार को प्रातःकाल भ्रमण के लिए निकले एक बुजुर्ग महेश चंद्र को हमला कर इतनी बुरी तरह से घायल किया कि थोड़ी देर बाद ही एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। यह मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि मंगलवार को झालावाड़ से कोटा अपने बीमार पिता को देखने आई एक विवाहिता नसरीन की उस समय मौत हो गई,जब वह अपने भाई के साथ बाइक पर जा रही थी तो एक स्वान अचानक सामने आ गया जिसे बचाने की कोशिश में बाइक गिर गई और विवाहिता गंभीर रूप से घायल हो गई जिसकी इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई।
मवेशियों और स्वानों की धरपकड़ के लिए नियमित रूप से कोई कार्यवाही नहीं की जाती
कोटा शहर में ऐसे हादसे लगातार होते रहे हैं लेकिन इसके बावजूद कोटा के दोनों नगर निगम की ओर से लंबा-चौड़ा लवाजमा होने के उपरांत भी योजनाबद्ध तरीके से कोटा शहर की सड़कों पर विचरने वाले मवेशियों और स्वानों की धरपकड़ के लिए नियमित रूप से कोई कार्यवाही नहीं की जाती। इसका नतीजा यह निकलता है कि घरों में पाले गए दूधरू मवेशी दूध निकाले जाने के बाद सड़कों पर छुट्टे छोड़ दिये जाते हैं जो बाद में सड़कों पर घूमते हुए या सड़कों पर बैठकर अकसर सड़क हादसों की वजह बनते हैं और जिसमें अब तक बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गवा चुके हैं।
हालांकि इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने प्रदेश की पहली अभिनव देवनारायण पशुपालक एकीकृत आवासीय योजना की नींव रख कर उन पशुपालकों को पशुपालन के लिए स्थान और रहने के लिए आवास की व्यवस्था की जिन्होंने शहर के आवासीय क्षेत्रों में गैरकानूनी तरीके से बाड़े बनाकर दुधारू मवेशियों को पाल रखे थे और वे मवेशी अकसर हादसों की वजह बनते थे।इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए करीब 300 करोड रुपए की लागत से अमलीजामा पहनाया और यहां निर्मित परिसर पशुपालकों को आवंटित भी किए जा चुके हैं और करीब पांच सौ पशुपालक अपने मवेशियों के साथ यहां स्थानांतरित भी हो गए हैं, लेकिन उसके बावजूद अभी भी आवारा मवेशियों की समस्या से निजात नहीं मिल पाई है क्योंकि अभी भी ऐसे फुटकर पशुपालक शहर की आबादी क्षेत्रों में मौजूद है जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने या छोटे स्तर पर दुग्ध व्यवसाय करने की दृष्टि से घरों पर ही नियम विरुद्ध मवेशी पाल रखे हैं जिन्हें दूध निकालने के बाद छोड़ देते हैं जो बाद में सड़कों पर घूम कर अकसर दुर्घटनाओं के बायस बनते हैं।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मिली राहत
हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कोटा आने से एक सप्ताह पहले ही कोटा के दोनों नगर निगम और नगर विकास न्यास ने शहर में व्यापक पैमाने पर मवेशियों की धरपकड़ शुरू की थी। ताकि जिस समय यात्रा शहर में से होकर गुजरे तो सड़कें आवारा मवेशियों से मुक्त हो। उस दौरान व्यापक पैमाने पर मवेशियों की धरपकड़ के कारण लोगों को थोड़ी राहत मिली थी लेकिन बाद में जब पशुपालक अपने मवेशी कायन हाऊस उसे छुड़ा ले गए और यात्रा कोटा से निकल गई तो यह मवेशी वापस सड़कों पर नजर आने लगे हैं और इसी के चलते दो 2 दिन में कोटा शहर में दो लोग अपनी जान गवा चुके।
धरपकड़ के बाद पशुओं के रखने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं
इस बारे में कोटा नगर निगम दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू ने बताया कि दोनों नगर निगम क्षेत्रों में आवारा मवेशियों की व्यापक धरपकड़ कर रहे हैं और प्रतिदिन 40 से 50 की संख्या में मवेशियों को किशोरपुरा स्थित कायन हाउस लाया भी जा रहा है लेकिन धरपकड़ के बाद पशुओं के रखने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है, जगह की बहुत कमी है। बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला के पास पांच बीघा खाली जमीन पड़ी है जिसका उपयोग ऐसे मवेशियों को रखने के लिए किया जा सकता है लेकिन वित्तीय प्रावधान नही किए जाने के कारण वहां चारदीवारी अभी तक नहीं बन पाई है जबकि इस बारे में वे कई बार निगम प्रशासन को लिखित में दे चुके हैं। कोटा नगर निगम (उत्तर) की तो अपनी कोई न तो गौशाला है ना उनका कोई कायन हाउस है।वहां से भी जो मवेशी पकड़े जाते हैं, उन्हें कोटा दक्षिण की गौशाला या कायन हाउस में ही रखा जाता है।जितेंद्र सिंह जीतू ने कहा कि मवेशियों की धरपकड़ और उनको रखे जाने की व्यवस्था की कोटा की जिला मजिस्ट्रेट स्वयं निगरानी करें और महीने में कम से कम एक बार कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला का अवलोकन अवश्य करें और वहां की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए प्रशासन को निर्देशित करें। नई गौशाला और कायन हाउस बनाये जाए ताकि शहर में पकड़े जाने वाले मवेशियों को रखने की समुचित व्यवस्था हो। जब तक यह व्यवस्था नहीं होगी,स्थिति में कोई सुधार आने वाला नहीं है।
कोटा शहर के नागरिकों को साफ सुथरा,सुरक्षित, पर्यावरण मुक्त, अच्छी सड़कें,स्वच्छ जलापूर्ति,पशु विहीन तथा शांति पूर्ण वातावरण मुहैया कराने की जिम्मेदारी,नगर निगम की है. पशुओं से आम नागरिक सुरक्षित रहे इसकी भी जिम्मेदारी नगर निगम की ही है,कायन हाउस निमार्ण,श्वान वाला आदि बनाना और आवारा मुक्त शहर बनाना नगर निगम से अपेक्षित है . इसके लिए निगम के पास मैन पावर, और आर्थिक संसाधनों की कमी नहीं है, इच्छा शक्ति और दायित्व निर्वहन की कमी के कारण शहर की जनता समस्याओं से दो चार हो रही है
यह लाइलाज बीमारी है।दावे बड़े बड़े धरातल पर कुछ नहीं।मुख्य व्यस्त सड़कों पर जब दर्जनों पशु ,कुत्ते आराम करते दिखते हैं तो दहशत होती है ।आम जनता तो आवाज उठाती है लेकिन सुनता कौन है।