
– अखिलेश कुमार-

(पत्रकार और फोटोग्राफर)
कोटा। कोटा समेत हाडोती संभाग पुरा संपदा, गढ, किलों, प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक और नैसर्गिक सौंदर्य से भरा पड़ा है। इसके बावजूद हाडोती पर्यटकों को उतना आकर्षित नहीं कर पा रहा जितना यहां पर्यटकों को देखने के लिए दर्शनीय स्थल हैं। इसके लिए पर्याप्त प्रयास किया जाने की जरूरत है ।



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कोटा को पर्यटन नगरी बनाने के लिए चम्बल रिवर फ्रंट, चौराहा का सौंदर्यीकरण, छत्रविलास तालाब के पास निर्मित अजूबों को देखने के लिए देशी पर्यटक आ सकते हैं लेकिन विदेशी पर्यटक हमारे देशकी सांस्कृतिक विरासत तथा प्राचीन राजमहलों की कलात्मक निमार्ण शैली, पुरातात्विक धरोहरों, कलात्मक बावड़ियों ,अति प्राचीन वास्तुशिल्प भंडार देवालय आदि देखना पसंद करते हैं। कोटा नगर के गढ़ पैलेस को जाने वाले मार्ग बहुत संकरे, भीड़भाड़ वाले हैं। पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होने से पर्यटकों की बारी भरकम वोल्वो गाड़ियों के खडी होने की जगह नहीं है। पर्यटन स्थलों को लुभावना बनाने के लिए ,इनका रखरखाव भी समुचित होना चाहिए। छत्रविलास स्थित संग्रहालय भी देख देख के अभाव में आकर्षण खोता जा रहा है। इसलिए कोटा में विदेशी पर्यटकों का अभाव रहता है।
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल माहौल, सुसज्जित होटल, पार्किंग तथा स्थानीय प्रशासन और नागरिकों कि देशी विदेशी यात्रियों से अतिथि देवो भव की भावना से व्यवहार आवश्यक है. फिलहाल कोटा में ऐसे वातावरण का सर्वथा अभाव है. चंबल रिवर फ्रंट के विकसित होने से पर्यटकों आने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन ?