
केस-01
जमुई बिहार के प्रवासी दिहाड़ी मजदूर रमेश कुमार कांचीपुरम की एक फैक्ट्री में काम करता है।उनके घर से फोन आता है बेटा गाँव वापस आ जाओ वहाँ का हालात ठीक नहीं है। वहाँ के लोग तुझे मार देंगे, लेकिन मोहन अपने परिवार को विश्वास दिलाते हैं कि मैं बिल्कुल ठीक हूं यहां ऐसा कुछ नहीं है सिर्फ झूठी अफवाह है।
केस-02
सुबोध मनली इंडस्ट्रियल एरिया में रोलिंग में मजदूरी करता है। उनके पिता मधुबनी, बिहार से फोन करते हैं कि बेटा ठीक हो। यदि वहाँ का माहौल ठीक नहीं है तो चले आओ। लेकिन वह अपने पिता को विश्वास दिलाते हैं कि पापा यहाँ सबकुछ ठीक है डरने की जरूरत नहीं है। हमलोग सुरक्षित हैं।
केस-03
द ओपिनियन संवाददाता को फोन आता है कि क्या वास्तव में तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों और को हिंदी भाषियों को मारकर भगाया जा रहा है। मेरा जबाब बिल्कुल नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सिर्फ अफवाह है। आप सभी इतमिनान रखिये, यहाँ सब कुछ ठीक है।
-विष्णुदेव मंडल-

(बिहार मूल के चेन्नई निवासी स्वतंत्र पत्रकार)
चेन्नई। पिछले कुछ दिनों से उत्तर भारतीय बिहारी मजदूरों पर तमिल मूल के लोगों द्वारा हमले की खबर पूरे देश में फैल चुकी हैं। जहाँ तमिलनाडु पुलिस इस अफवाह को रोकने के लिए हर तरह से कोशिश कर रही हैं वहीं कोयम्बटूर पुलिस ने प्रवासी मजदूरों के लिए हेल्पलाइन भी जारी कर दिया है।
तमिलनाडु के श्रम एवं कौशल मंत्री सीवी गणेशन ने शुक्रवार को प्रवासी मजदूरों को आश्वस्त करते हुए कहा की प्रवासी मजदूर हमारे अतिथि हैं हमारे यहां हो रहे निर्माण कार्य में उनका योगदान अहम है इसलिए तमिलनाडु सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रवासी मजदूर जो हिंदीपट्टी से आते हैं उनको सुरक्षा प्रदान करे और वह हम कर रहे हैं।
किसी को डर में जीने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा तमिलनाडु में हो रहे फ्लाईओवर,मेट्रो रेल एवं अन्य बड़ी परियोजनाओं के निर्माण में हिंदीपट्टी के मजदूरों का रोल अहम है। हम उन्हें यहां से कैसे भगा सकते हैं? हमारा मुल्क संघीय ढांचा के तहत है। हम एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश काम करने को जाते हैं,इसलिए प्रवासी मजदूर बेखौफ यहां पर रह सकते हैं,उनकी सुरक्षा और खाने-पीने का बंदोबस्त करना सरकार की जिम्मेदारी है,और हम कर भी रहे हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सोशल मीडिया पर दो वीडियो तेजी से वायरल हो रहे थे जिनमें यह दर्शाया जा रहा था की कोयंबतूर और त्रिपुर टेक्सटाइल औद्योगिक क्षेत्रों में प्रवासी मजदूरों के साथ तमिलनाडु के लोग मारपीट कर रहे हैं और उन्हें यहां से आगामी 20 मार्च से पहले रवाना होने को कहा जा रहा है। जिन के डर से तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों में काम कर रहे बिहारी मजदूरों को यह चिंता सताने लगी है कि अब यहां रहकर वह काम नहीं कर सकते। भारी संख्या में प्रवासी देहाती मजदूर पास के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जमा होने लगे ताकि वह यहां से जान बचाकर भाग सकें।
वीडियो की सच्चाई जाने बिना बिहार विधानसभा में हंगामा-
गौरतलब है कि गुरुवार और शुक्रवार को बिहार विधानसभा में प्रवासी बिहारी मजदूरों पर हो रहे हमले को लेकर भाजपा विधायकों ने सीएम नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर आरोप लगाते हुए कहा था कि बिहार के मजदूरों पर तमिलनाडु में लगातार हमले हो रहे हैं। उन्हें पीटा जा रहा है। दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के साथ केक काट रहे हैं। उसके बाद बिहार सरकार हरकत में आई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करें। लिहाजा बिहार सरकार के सचिव और तमिलनाडु के सचिवों के बीच बिहारी मजदूरों पर हो रहे हमले पर बातचीत की गई। उसके बाद तमिलनाडु के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस सी शैलेंद्र बाबू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विश्वास दिलाया कि तमिलनाडु में ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यहां पर प्रवासी मजदूर पूर्णरूपेण सुरक्षित हैं। जो वीडियो सोशल साइट पर चलाए जा रहे हैं वह पुराने और फेक हैं, इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें।प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा तमिलनाडु सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी है। वह सफलतापूर्वक उनके निभा रहे हैं। तमिलनाडु में कानून व्यवस्था मुकम्मल है किसी को भय में जीने की जरूरत नहीं है।
चिंताजनक तथ्य यह है कि बिना सच्चाई जाने बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य हिंदीभाषी क्षेत्रों के अखबारों में तमिलनाडु में हिंदीभाषी बिहारी मजदूरों पर हमले की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई जिनके कारण सियासी गलियारों में भी हलचल तेज हुई। तमिलनाडु पुलिस इस खबर को गंभीरता से लेते हुए मजदूरों को विश्वास दिला रही है फिर भी देहाड़ी मजदूर डर डर कर काम पर जा रहे हैं। भाषायी समस्या के कारण वह अपनी समस्या भी पुलिस को बताने में असमर्थ होते हैं इसीलिए यदि उनके साथ कहीं ज्यादाती भी होती है तो उन्हें सहना पड़ता है।
यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि पिछले कुछ महीनों से तमिलनाडु के अखबारों और टीवी में सत्ताधारी राजनीतिक दल डीएमके और उनके सहयोगी दलों द्वारा हिंदी भाषा के विरोध में कई जगह कार्यक्रम एवं सभाएं आयोजित करने की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की गई थीं। हिंदी का तमिलनाडु में भारी विरोध हो रहा था। भाषायी विभिन्नता के कारण स्थानीय तमिलों में यह धारणा बन रही थी कि हिंदी भाषी और हिंदीपट्टी के लोग तमिलनाडु में आकर उनका रोजगार हडप रहे हैं और वे बेरोजगार हो रहे हैं। इस वजह से छिटपुट घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। अब यह जिम्मेदारी सरकार और नियोक्ताओं की है कि वह अपने अतिथि मजदूरों को सम्मान के साथ रखें। तमिलनाडु में लाखों की संख्या में आए प्रवासी मजदूर सरकार के आश्वासन के बावजूद भी भय के साये में जी रहे हैं। भारी संख्या में देहाड़ी मजदूर अखबार के दफ़्तर में भी लोकल लोगों द्वारा मारपीट वाली खबरों पर अपनी शंका जाहिर कर रहे हैं। मजदूरों को सुरक्षा हेतु सरकार ने कुछ फोन नंबर जारी किए है ताकि किसी भी क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे भेदभाव पर काबू पाया जा सके!
तमिलनाडु सरकार द्वारा जारी हेल्पलइन कुछ इस तरह है
हेल्पलाइन नंबर
9498181213
8190000100
9443808277
7708100100
टोल फ्री नंबर 1077 पर भी संपर्क कर सकते हैं!