
-कांग्रेस से भाजपा में आए नेता बने हैं पूर्वोत्तर में पार्टी के विस्तार के सूत्रधार
-द ओपिनियन-
पूर्वाेत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय व नगालैंड में भाजपा की दूसरी पारी शुरू हो गई है। त्रिपुरा में नए मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की है। शाह दूसरी बार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने हैं। शपथ ग्रहण के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत दिग्गज पार्टी नेता मौजूद थे। माणिक साहा छह साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए भाजपा का पूर्वोत्तर में नया प्रभावशाली चेहरा बनकर उभरे हैं। उनके अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पूर्वोत्तर में पार्टी के सबसे बड़े चेहरे बनकर उभरे हैं। सरमा हाल में जिन तीन राज्यों में चुनाव हुए वहां समन्वयक की भूमिका सफलतापूर्वक निभाई। सरमा भी कांग्रेस से ही भाजपा में आए थे। मणिपुर के मुख्यमंत्री भी पूर्व कांग्रेसी हैं।
भाजपा ने 2022 में जब ने त्रिपुरा में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिप्लब देव को हटाकर माणिक साहा को राज्य की कमान सौंपकर सभी को चौंका दिया इसकी एक वजह यह भी थी कि साहा छह साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन भाजपा ने उनके सहारे राज्य में सत्ता विरोधी भाव को कुंद कर दिया और टिपरा मोथा की कड़ी चुनौती के बावजूद पार्टी को सत्ता में वापस लाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि पहले यह कयास भी लगाए गए थे कि केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक राज्य की नई मुख्यमंत्री हो सकती हैं। लेकिन विधायक दल की बैठक में साहा के नाम पर मुहर लगी। इसके पहले रविवार शाम नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी जिसमें असम के मुख्यमत्री हिमंत बिस्व सरमा और नगालैंड के निवर्तमान मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो भी मौजूद थे। बैठक में त्रिपुरा में नई सरकार के गठन व नगालैंड की नई कैबिनेट पर विचार विमर्श
मेघालय में फिर कोनराड संगमा
दूसरी ओर मेघालय में कोनराड संगमा मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। संगमा ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला है । मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए हुए चुनाव में एनपीपी 26 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। जबकि भाजपा को दो सीटें मिली। एचएसपीडीपी व पीडीएफ ने भी दो दो सीटें जीती थी। अब यूडीएफ व पीडीएफ के समर्थन देने के बाद संगमा का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या 45 हो गई है।
नगालैंड
नगालैंड में एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार ने फिर सत्ता संभाल ली है और नेफ्यू रियो फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं। नगालैंड में पिछली बार सरकार गठन के बाद धीरे धीरे अधिकांश विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ गठबंधन के साथ आ गई थी और राज्य में व्यावहारिक तौर पर विपक्ष विहीन सरकार हो गई थी। इस बार भी राज्य में एनडीपीपी -भाजपा ने 40ः20 के फार्मूले के आधार पर चुनाव लड़ा था और गठबंधन विजयी रहा। ऐसे में रियो का मुख्यमंत्री बनना तय था। माना जा रहा है कि नगालैंड में नई सरकार भी विपक्ष रहित रह सकती है। क्योंकि कई अन्य दलों ने भी एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को समर्थन देने की पेशकश की है।
अहम चुनौती
साफ है चुनाव के बाद वे ही पुराने समीकरणों के बीच तीनों राज्यों में नई सरकार का गठन होने जा रहा है लेकिन तीनों के सामने ही कई चुनौतियां हैं खासकर त्रिपुरा व नगालैंड में कुछ इलाकों से उठ रही अलग राज्य की मांग। ऐसे में नई सरकारों के सामने इस मसले को शांतिपूर्ण हल करने की बड़ी चुनौती होगी। यदि इसे हल कर लिया गया तो फिर विकास की गति भी बढ़ेगी ।