– उमा भारती की नाराज़गी पड़ सकती है भारी
-द ओपिनियन-
पहाड़ों से आ रही शीतलहर ने मप्र के अधिकतर अंचलों को ठिठुरा दिया है। राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए सियासी पारा चढ़ने के आसार हैं लेकिन फिलहाल राज्य में हाल के कुछ सियासी बयानों और सियासी बयार से कई दिग्गजों के धूजणी छूट रही है। मध्यप्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी और कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बनें। कड़े मुकाबले में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर किया था लेकिन कांग्रेस अपनी पारी की शुरुआत में ही लड़खड़ा गई और 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की पार्टी से बगावत के बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और भाजपा की वापसी हुई। शिविराज सिंह चौहान फिर मुख्यमंत्री बनें। सिंधिया का ग्वालियर क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है और उनके साथ कांग्रेस को अलविदा कहने वाले ज्यादातर विधायक भी वहां से ही थे जो बाद में हुए उपचुनाव में फिर जीतकर विधानसभा पहुंचे। लेकिन गुजरात चुनाव के बाद भाजपा में चल रही इस सियासी बयार से सिंधिया खेमें में धूजणी छूटी हुई है कि भाजपा मध्य प्रदेश में भी सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने के लिए गुजरात फार्मूला अपना सकती है। गुजरात में भाजपा ने संभावित सत्ता विरोधी रुझान की धार कुंद करने के लिए 40 प्रतिशत मौजदा विधायकों के टिकट काट दिए थे। पार्टी का यह फार्मूला राज्य में हिट रहा और भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। इसलिए राजनीतिक़ क्षेत्रों में गुजरात के फार्मूले को मध्य प्रदेश में आजमाने की खूब अटकलें चल रही हैं और सियासी हलकों में कई नेताओं की धूजणी छूट रही है कि यह फार्मूला अपनाया गया तो गाज उस पर ही न गिर जाए।

दूसरी ओर भाजपा की फायरब्रांड नेता कहलाने वाली उमा भारती के एक बयान से भाजपा के कई दिग्गजों की सियासी धूजणी छूटने वाली हैं। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की भोपाल में लोधी समाज के एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी का सियासी आकलन राजनीतिक हलकों में शुरू हो गया है। इस बयान के राजनीतिक संदेश से कई भाजपा नेताओं की जमीन खिसकने लगी है। उमा भारती खुद लोधी समाज से हैं और लोधी समाज भाजपा के कोर वोट में शामिल है; लेकिन उमा भारती ने उसी समाज के एक कार्यक्रम में कहा, मैं आपको राजनीतिक बंधन से मुक्त करती हूं। हम प्यार के बंधन में बंधे हैं, लेकिन राजनीति के बंधन से आप आजाद हैं। मैं चुनाव में आऊंगी, मंच से संबोधित करूंगी, लेकिन मैं यह नहीं कहूंगी की लोधियों तुम बीजेपी को वोट करो। मैं तो सभी से कहती हूं कि तुम बीजेपी को वोट करो, क्योंकि मैं तो अपनी पार्टी की निष्ठावान सिपाही हूं। उमा भारती के इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता भाजपा पर तंज कस रहे हैं।
यह है लोधी समाज का सियासी गणित
राज्य में लोधी समुदाय के करीब 9 प्रतिशत वोट माने जाते हैं। 230 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा की 65 सीटें ऐसी हैं जहां लोधी समाज के मत निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनमें से अधिकतर सीटें बुंदेलखंड और आसपास के क्षेत्र में है। बुंदेलखंड के अलावा ग्वालियर व चंबल क्षेत्र में भी लोधी समुदाय चुनावी गणित में काफी अहमियत रखता है। मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से 13 सीटों पर लोधी वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में लोधी समाज के प्रभाव वाली सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि भाजपा बढ़त लेने में कामयाब रही। ऐसे में उमा भारती का बयान इन सीटों पर भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
दूसरी ओर कांग्रेस भी चुनावी तैयारियों में जुटी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने हाल में वादा किया था कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो वृद्धावस्था पेेंशन बढाकर 1000 रुपए कर दी जाएगी। लेकिन कांग्रेस के सामने भी अंदरूनी खींचतान अहम चुनौती है।
गुटबाजी पार्टी आलाकमान के लिए मुश्किलों का सबब बन रही है। पार्टी के दो बड़े चेहरे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह है लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का आकलन है कि पार्टी में खेमेबाजी चरम पर है और आलाकमान संतुलन कायम करने की दिशा में काम कर रहा है।