मप्र में कई समीकरण साध गए राहुल

मप्र में यात्रा के दौरान राहुल विविध रंग में दिखे, एक ओर जहां उन्होंने उज्जैन महाकालेश्वर के दर्शन और ओंकारेश्वर में नर्मदा आरती में शामिल होकर अपना भक्ति भाव दिखाया भाग लिया, वहीं आदिवासी जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली पहुंच कर परम्परागत आदिवासी तीर कमान पर हाथ आजमाया। इसके अलावा दलितों को रिझाने के लिए डॉ अम्बेडकर की जन्मस्थली महू में पहुंचकर संविधान को याद किया।

-संजीव कुमार-

संजीव कुमार

(स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार)

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में कई समीकरण साध गई। यात्रा अब मध्यप्रदेश से राजस्थान पहुंच गई है। राजस्थान में प्रवेश और मध्यप्रदेश में अंतिम चरण के दौरान वे मध्यप्रदेश की जनता को संदेश देने के साथ धन्यवाद दिया।
मप्र में राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने 12 दिन सफर किया। यात्रा अभी तक 3600 किमी सफर के साथ 88 दिन पूरे कर चुकी है।
मप्र में यात्रा के दौरान राहुल विविध रंग में दिखे, एक ओर जहां उन्होंने उज्जैन महाकालेश्वर के दर्शन और ओंकारेश्वर में नर्मदा आरती में शामिल होकर अपना भक्ति भाव दिखाया भाग लिया, वहीं आदिवासी जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली पहुंच कर परम्परागत आदिवासी तीर कमान पर हाथ आजमाया। इसके अलावा दलितों को रिझाने के लिए डॉ अम्बेडकर की जन्मस्थली महू में पहुंचकर संविधान को याद किया।
हिन्दुत्व का सहारा ले रही है कांग्रेस
जानकारों की मानें तो कांग्रेस को भी भाजपा की तरह हिन्दुत्व का सहारा लेने में गुरेज नहीं है। वह पूरी ताकत से अपनी हिदुत्व की छवि के साथ आगे बढ़ रही है। राहुल की दो ज्योतिलिंग की यात्रा को इसी परिपेक्ष्य में देखने की जरूरत है। राहुल गांधी ओंकारेश्वर में धार्मिक रंग में रंगे दिखे। ओंकारेश्वर में ब्रह्मपुरी घाट पर हाथ में दीपक लेकर उन्होंने नर्मदा आरती की। इस दौरान राहुल गांधी ने बढ़ी हुई दाढ़ी, मालवा का साफा और ओम लिखा हुआ उत्तरीय ओढ़ रखा था। उज्जैन में यात्रा के दौरान वे महाकाल मंदिर गए और पूजन-अभिषेक कर साष्टांग हुए। नंदी के कान में कुछ कहा। पहले महाकाल मंदिर जाने का कोई प्लान नहीं था, लेकिन इसे बाद में बदला गया। यहां यह जानना जरूरी है कि एक महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक के पहले चरण का लोकार्पण किया था।
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फोटा साभार ट्विटर

अम्बेडकर के बहाने दलितों को साधने की कोशिश

 

बाबा साहेब अम्बेडकर की जन्मस्थली महू में राहुल की यात्रा कई मायने में दलितों के लिए एक संदेश है। राहुल की यात्रा के दिन को संवैधानिक दिवस के रूप में कांग्रेस ने मनाया। राहुल की यात्रा जिस रूट से गुजरी, उसमें करीब 6 जिलों की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 8 विधानसभा क्षेत्र कवर हुए, लेकिन इस वर्ग का वोट बैंक 50 से ज्यादा सीटों पर अपनी सीधी पकड़ रखता है। मप्र में दलित कांग्रेस के परम्परागत वोटर रहे हैं। इसी वोटर को साधने कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही कारण है कि महू की सभा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे भी शामिल थे। जो स्वयं दलित हैं।

 

एक करोड़ से ज्यादा हैं दलित

 

2011 की जनगणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में दलित वर्ग की आबादी 1 करोड़ 13 लाख है। इंदौर में 5 लाख 45 हजार इस वर्ग के लोग हैं। आबादी में प्रतिशत के हिसाब से सबसे ज्यादा उज्जैन जिले में 5 लाख 23 हजार इस वर्ग के लोग रहते हैं। पार्टी इन जातियों में अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहती है ताकि इनकी 35 सीटों में से अधिकांश पर अपना परचम लहरा सके।

 

कांग्रेस के साथियों ने किया विश्वासघात

 

राहुल गांधी ने मप्र में यात्रा के अंतिम चरण में जारी संदेश में कहा कि प्रदेश में लोगों के सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं। यहां के किसानों को भी बढ़ती लागत घटती आमद, अनिश्चित कीमत, बिजली की समस्या और सरकार की असंवेदनशील नीतियों के कारण अपना गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। शिक्षित बेरोजगार मध्यप्रदेश में प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकारी भर्तियां रुकी हुई हैं। भ्रष्टाचार चरम पर है। आदिवासी जो देश के मूल निवासी हैं, उनके कानूनों को लगातार कमजोर करने के कारण वह संघर्ष कर रहे हैं।राहुल ने अपने संदेश में लिखा कि मध्य प्रदेश की जनता ने इन्हीं चुनौतियों को सुलझाने के लिए हम पर विश्वास किया था, लेकिन कांग्रेस के कुछ साथियों ने विश्वासघात किया। ठीक वैसे ही जैसे अभी देशभर में संवैधानिक मूल्यों पर हमला किया जा रहा है। संदेश में राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश की जनता के सामने संविधान की रक्षा करने के संकल्प की प्रतिज्ञा को दोहराया और वादा किया कि जल्दी वह दिन आएगा जब हम आपके हर भरोसे पर खरा उतरेंगे।

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