
-सावन कुमार टांक-

बूंदी। हाडोती में छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी शहर विदेशी पावणो के लिहाज से भी खास पहचान रखता है। जां एक ओर यहां के किले, बावडिय़ां, दरवाजे पर्यटकों को लुभाते हैं तो शहर का बिगड़ा हुआ सोंदर्य, बाजारों में फैली गंदगी,पार्क में पड़े नशेडी शहर की छवि को धूमिल करते नजर आ रहे हैं। शहरवासी भी पार्को की बदहाली और गंदगी से खासे परेशान हैं।

शहर के बीचों बीच व नगर परिषद कार्यालय के सामने स्थित नेहरू बालोद्यान तो वर्तमान में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। बच्चों के मनोरंजन व झूलने के लिए यहां लगे झूले गायब हो चुके हैं। बैठने के लिए लगाई गई बेंच भी असामाजिक तत्वों ने तोड़ दी हैं। पार्क में जो जवाहरलाल नेहरु की प्रतिमा लगी हुई है वहाँ के फाउन्टेन बरसों से बंद हैं।

पौंड में कचरा भरने लगा है। यहां तक कि सार संभाल के अभाव में सरिये बाहर निकलने लगे हैं। जो कचरा पात्र यहां रखा है वह पूरा भर चुका है लेकिन उसे खाली नहीं किया जा रहा। जो कूड़ा यहां एकत्र होता है उसे साफ करने के बजाय पार्क के ही एक कोने में आग लगा जला दिया जाता है, जिससे आस पास आग लगने का खतरा बना रहता है।

पार्क में दिन रात शराबियों व नशेड़ीयों का जमावड़ा रहता है। बाजार के समीप होने व शौचालय का अभाव होने से दुकानदार व आमजन पार्क के ही एक कोने में लघुशंका के लिए आकर गंदगी फैलाते हैं। इन पर भी रोक लगाने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इन अव्यवस्थाओं के कारण पार्क में बच्चों व आमजन की आवाजाही काफी कम रहती है।

नगर पालिका- परिषद में बदली पर पार्क की व्यवस्थों में नहीं हुआ सुधार
===================
इस नेहरू बालोद्यान का निर्माण 10 नवंबर 1993 में करवाया गया था। उस समय यहां रतन सिंह रानावत पालिका के अध्यक्ष थे। समय के साथ बूंदी शहर का विस्तार हुआ आबादी बढी तो नगर पालिका भी नगर परिषद में तब्दील हो गईं लेकिन इस नेहरू बालोद्यान की स्थिति मे बदलाव नहीं हुआ।

मल्टिप्लेक्स झूले अब नहीं आते नजर
====================
यहां वर्ष 2014 में मल्टिप्लेक्स झूले लगवाए गए थे जो अब नजर ही नहीं आते। लोगों के अनुसार यहां नशेड़ी लोगों ने झूले की जंजीरों, लोहे के सामानों को बेच दिया। छोटे बच्चों का डक राउन्ड झूला तो कचरा पात्र पर रखा हुआ है। आधा दर्जन झूले से जंजीरे गायब हैं। फिसल पट्टी भी टूटी हुई है। भूल भूलेया सहित दुसरे झूले भी टूटे हुए हैं। नगर परिषद कार्यालय के सामने होने के बावजूद अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस पार्क की और नहीं है।

पार्क बना खेल मैदान
===================
झूले व फुलवारी का अभाव होने से अब आस पास के निवासी बच्चों ने पार्क को क्रिकेट का मैदान बना दिया है। विदेशी पर्यटक तो इस पार्क की ओर मुँह भी नहीं करते। बाल दिवस पर जरूर यहां साफ सफाई करवा दी जाती है। अधिकारियों के वापस लौटते ही फिर असामाजिक तत्व आ धमकते हैं।
सुधार होना चाहिए
पार्क तो हमारे देश में ही बहुत है हम यहां एतिहासिक स्थलों व निर्माण कला को देखना पसंद करते हैं। यहां जैसा काम पहले के समय में हुआ वो अब नहीं हो पा रहा। पार्क में गंदगी है। अच्छे झूले नहीं है। सुधार होना चाहिए।
अरमंड, पर्यटक फ्रांस
” ये पार्क बाजार व शहर के मध्य में स्थित है। लेकिन देखरेख और सार संभाल नहीं होने से यहां कम ही लोग आते हैं। सुबह के समय जरूर यहां ओपन जिम में कसरत करते हुए लोग नजर आते हैं।
दुकानदार, मुख्य बाजार
” कभी कभार बच्चों को लेकर आते हैं लेकिन यहां तो झूले टूटे हुए हैं। जो फिसल पट्टी है वहाँ बच्चों के गिरने व चोट लगने का डर रहता है। झूले ठीक करवा दिया जाएं तो बच्चों का मनोरंजन हो।
अनिल, स्थानीय निवासी