-शान्ति सद्भाव मिशन सम्मलेन आयोजित
-संजय चावला-

कोटा। संविधान हमारा राष्ट्रीय ग्रन्थ है. अगर हम समानता, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार जैसे संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं तो हमें खुल कर बोलना होगा. यह बात मध्य प्रदेश किसान संघर्ष समिति के संस्थापक अध्यक्ष तथा समाजवादी चिन्तक डा. सुनीलम ने शनिवार को कालेज रोड स्थित कृषि सभागार में आयोजित शांति सद्भावना सम्मलेन में मुख्य वक्ता के रूप में कही. उन्होंने कहा कि आज देश के हर हिस्से में सांप्रदायिक वैमनस्य फ़ैलाने और वातावरण बिगाड़ने का काम किया जा रहा है. हमें इससे सचेत रहना होगा. आवश्यकता है कि प्रत्येक परिवार में संविधान के प्रस्तावना की प्रति पढने के लिए भेजी जाये.
कोटा सांप्रदायिक सौहाद्र की मिसाल
कोटा सांप्रदायिक सौहाद्र की मिसाल रहा है. कोटा के लोग नहीं चाहेंगे कि कोचिंग हब बन चुके इस शहर में नूंह (हरियाणा) जैसा हिंसात्मक माहौल बने. उन्होंने कहा कि हमारे मंत्रीगण तो अपने बच्चों को पढाई के लिए विदेश भेज रहे हैं और आपके बच्चों को बाबू बजरंगी और मोनू मानेसर जैसे दंगाई बनाना चाहते है. यदि आज हम मौन रहे तो स्थितियां हमारे हाथ से निकल जाएँगी.
वैज्ञानिक सोच कहाँ है?
देश में बढ़ रही अंधविश्वास की प्रवृत्ति पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि डा. नरेंद्र दभोलकर, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसे अंधविश्वास और पोंगा पंथी प्रवृत्ति के विरुद्ध अभियान चलाने वाले लोगों की हत्या कर दी जाती है और उनके हत्यारों को वर्षों बाद भी गिरफ्तार नहीं किया जाता. चन्द्रयान की सफलता के सन्दर्भ में वैज्ञानिक सोच की बात तो की जाती है पर थाली बजा कर हम करोना भगाना चाहते हैं.तर्क करने वालों को राष्ट्रीय अपराधी माना जा रहा है. अशोका यूनिवर्सिटी का ताजा मामला हमारे सामने है.वहां के एक शिक्षक को केवल इसलिए अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा क्योंकि उसने अपने एक शोध लेख में देश की वर्तमान लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किये थे.
भारत में रह रहे मुसलमान सच्चे देशभक्त
उन्होंने कहा कि जो मुसलमान देश के विभाजन के समय पकिस्तान नहीं गये वो ज्यादा देशभक्त हैं क्योंकि उन्होंने जिन्ना से अधिक मौलाना आज़ाद और गाँधी पर भरोसा जताया. खेद का विषय है कि आज ही आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य में छपे लेख के अनुसार फिल्म अभिनेता आमिर खान को देश द्रोही कहा गया है जबकि उसने सत्यमेव जयते जैसे सीरियल और लगान जैसी उत्कृष्ट फिल्मे बनायीं.आरएसएस के लोग अंग्रेजों से अधिक मुसलमान को देश का शत्रु मानने पर तुले हैं.
किसान आन्दोलन से प्रेरणा लें
उन्होंने लोगों से किसान आन्दोलन से प्रेरणा लेने को कहा जिन्होंने तीन काले कानूनों के पीछे छिपा षड्यंत्र भांप लिया और बोर्डर पर डटें रहे और सबसे मज़बूत सरकार को भी झुकने के लिए मजबूर कर दिया.उनकी ज़मीनें अडानी अम्बानी के पास चली जाएगी. किसानों को अपनी ज़मीन से लगाव होता है. वे समझ गए थे कि यदि ये कानून पास हो गए तो हमें नफरत और झूठ फ़ैलाने वाले गोदी मीडिया का भी वैसे ही बहिष्कार करना चाहिए जैसे किसानों ने किया. उन्होंने सिख समुदाय की लंगर परंपरा को साधुवाद देते हुए कहा कि सिखों ने 380 दिन तक आंदोलनरत किसानों को भोजन कराया. यहाँ तक कि बोर्डर के आस पास रहने वाले गरीबों ने भी निरंतर वहां प्रसादा चका. हम राजनीतिक पार्टियों के भरोसे न रहें. हमें अपनी साझा लडाई स्वयं लड़नी होगी. सरकारकितनी भी ताकतवर हो उसे परास्त किया जा सकता है. इतिहास में क्रूर से क्रूर तानाशाह हुए हैं पर उन्हें आखिर में झुकना पड़ा.
चुनाव भी अब लोकतान्त्रिक नहीं रहेंगे
उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक विरासत को त्यागने के नाम पर देश के कानूनों को बदला जा रहा है. अब पुलिस फ़ोर्स को इतनी शक्तियां दी जा रही हैं कि वे किसी को भी सात साल के लिए जेल में दाल सकती है.हमारे लोकतान्त्रिक अधिकारों का खुले आम हनन किया जा रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के पेनल से मुख्य चुनाव आयुक्त को हटा कर केन्द्रीय मंत्री को शामिल किया जा रहा है. यानि अब हम निष्पक्ष चुनाव आयुक्त की भी कल्पना नहीं कर सकते.
राजस्थान में ओपरेशन लोटस नहीं चला
पिछले कुछ वर्षों में लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी सरकारों को बड़ी बेशर्मी से गिराया गया. राजस्थान भाग्यशाली रहा कि यहाँ ओपरेशन लोटस नहीं चला. पर यह खतरा निरंतर बना रहता है.
#मेरेघरआकेतोदेखो अभियान में शामिल हों
उन्होंने बताया कि अनहद संस्था द्वारा #मेरेघरआकेतोदेखो अभियान 15 अगस्त से चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत हिन्दू तथा मुस्लिम एक दूसरे के घर जा कर मिलेंगे जुलेंगे और जलपान करेंगे. इससे हमारे आपस में जो पूर्वाग्रह हैं वो दूर होंगे और आपसी सौहार्द बढेगा. हम सब को इस अभियान में शामिल होना चाहिए. वाट्सअप ग्रुपों में नफरती फॉरवर्ड्स से हम कई बार बौखला कर ग्रुप से अलग हो जाते हैं जबकि हमें तर्कों के माध्यम से उनका सामना करना चाहिए.
इससेपूर्व किसान सभा के दुलीचंद बोरदा ने शांति सद्भाव मिशन के कार्यक्रमों और उद्देश्यों के बारे में बताया.
धार्मिक सामंजस्य हमारी सांझी विरासत
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 75 वर्षीय तारा सिंह सिद्धू ने कहा कि धार्मिक सामंजस्य हमारी सांझी विरासत है. 450 पूर्व लिखे गये गुरुग्रन्थ साहिब में भी कोई कहे राम कोई खुदाया लिखा गया है.सभी धर्मों का आपस में कोई टकराव नहीं है.अब राजनीतिक कारणों से इस सौहार्द को भंग किया जा रहा है.नफ़रत फ़ैलाने वाली ताकतों से हमें सांझी लडाई लड़नी होगी. साम्प्रदायिकता का ज़हर केवल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है.इस वैमनस्य की आग कीजद में समाज के सभी वर्ग कभी न कभी आयेंगे.धर्म के नाम पर समाज के सभी वर्गों के दिमाग को कुंद करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने पंजाबी कवि सुरजीत की कविता का हिंदी अनुवाद पढ़ते हुए कहा कि
हम चाहते हैं कि एक डाली पर सौ रंग के फूल खिलें
वे चाहते हैं गुलशन में एक ही रंग के फूल खिलें.
मणिपुर हिंसा में सरकार की चुप्पी का कारण
उन्होंने बताया कि मणिपुर हिंसा रोकने के प्रयास न किये जाने के पीछे आर्थिक कारण भी हैं. वहां 11 हज़ार एकड़ ज़मीन पर पाम आयल के लिए उपयुक्त खेती आदिवासी इलाके में है और उसे अडानी को बेचे जाने का वादा किया हुआ है.सरकार की नज़र उस ज़मीन पर है.इसलिये वहां हिंसा रोकने के प्रयास नहीं किये जा रहे. देश में इसी तरह सारी संपत्ति निजी हाथों में सौंपी जा रही है.राजस्थान में भी 1085 किलोमीटर सड़कें निजी हाथों में बेचीं जा चुकी हैं.
मेवात के मुसलमान हमारे सच्चे मित्र
भारत जोड़ो आन्दोलन से जुड़े दीपक लाम्बा ने बताया कि मेवात के मुसलमानों ने किसान आन्दोलन में जो तन मन धन से सहयोग किया किसान उसके लिए उनके सदा ऋणी रहेंगे.सरकार एक कुशल शिकारी की तरह भोली भाली जनता को अपने कपटपूर्ण जाल में फ़साना चाहती है. पर मेवात में उन्हें सफल नहीं होने दिया जायेगा.एकल नारी संगठन की चंद्रकला ने कहा कि समाज में फ़ैल रही सांप्रदायिक हिंसा का सबसे बुरा प्रभाव महिला और बच्चों पर पड़ता है. स्वीप के यज्ञदत्त हाडा ने सभी से अपने मताधिकार का उपयोग करने का आवाहन किया तथा समाज से हर कुरीति का उन्मूलन करने का संकल्प लेने को कहा.अध्यक्षता करते हुए सर्वसेवा संघ केसवाई सिंह ने कहा कि लोग अब नफरत फ़ैलाने वाली शक्तियों को पहचानने लगे हैं. गांधी के देश में सांप्रदायिक वैमनस्य फ़ैलाने वाली शक्तियां कभी कामयाब नहीं हो सकती. अंत में कार्यक्रम संयोजक अरविन्द भरद्वाज ने सभी का आभार व्यक्त किया.