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मनरेगा महिला श्रमिक मध्यान्ह अवकाश के दौरान सुस्ताते हुए। फाइल फोटो

-सावन कुमार टॉक-

कोटा। शहर का विकास तो नगरीय निकाय के माध्यम से हो जाता है लेकिन गांव खेड़ों के विकास के लिए लोगों को विधायकों और सांसदों के कोष के भरोसे ही रहना होता है। ऐसा भी नहीं कि गांवों के विकास के लिए बजट नहीं मिलता हो लेकिन इस बजट के सही उपयोग करने वाले अधिकारियों का अभाव भी गांव, ढाणी व मजरों के विकास में बड़ा रोड़ा बनता नजर आता है। जिन जिलों में पंचायत राज के अधिकारी ग्रामीण विकास के लिए तत्पर रहते हैं वहां छोटी-छोटी ग्राम पंचायतों में भी बड़े काम मनरेगा व विभिन्न योजनाओं के तहत गांवों की तस्वीर बदल देते हैं।

सावन कुमार टॉक

पंचायत राज विभाग की बात करें तो वर्तमान में 2 सीईओ, 14 एसीईओ, व 44 विकास अधिकारियों के पद रिक्त हैं। इसमें बड़ी बात यह कि जिस करोली से राज्य के पंचायत राज मंत्री रमेश चन्द मीणा आते हैं वहां जिला परिषद में एसीईओ व कुल 8 पंचायत समितियों में से करोली समेत 4 पंचायत समितियों में विकास अधिकारी के पद ही रिक्त चल रहे हैं।
कोटा संभाग की बात करें तो यहां झालावाड़ में 8, बारां में 7, बूंदी में 5 व कोटा जिला में 5 पंचायत समितियां हैं। बारा में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद रिक्त है। वहीं झालावाड़ जिलें की 2 पंचायत समितियों बकानी व मनोहरथाना में विकास अधिकारियों के पद रिक्त हैं। जिस कारण झालावाड़ की दोनों पंचायत समितियों में विकास कार्यों का कार्यान्वयन ठीक प्रकार नहीं हो पा रहा है।
कोटा, बारां, बून्दी व झालावाड के जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से बात करने पर सभी जिलों में 50 पद के मुकाबले आधी संख्या में ही ग्राम विकास अधिकारी होने की बात सामने आई। इसमें भी दो से तीन ग्राम पंचायतों का अतिरिक्त कार्यभार होने से कर्मचारी एक ग्राम पंचायत में ठीक प्रकार काम कर ही नही पाता।

ग्राम पंचायते जहां के काम नजीर बन गए

कोटा को किशनपुर तकिया, गिरधरपुरा, दिल्लीपुरा, लुह्यवद, बून्दी में रामनगर, ठीकरदा, बसी, मादून्दा, सीन्ता, जजावर, दुगारी, नमाना व अलोद के ग्राम पंचायतें है जहां स्वच्छता, मनरेगा, चारागाह में विशेष काम हुए व गावों की सूरत ही बदल गई। बूंदी की अलोद व कोटा को लुहाबद के तत्कालीन सरपंचों को तो विभाग ने राज्य स्तर पर सम्मानित भी किया गया।

शाहाबाद में 3 वर्ष से नहीं विकास अधिकारी

बारां जिले को शाहाबाद पंचायत समिति में विकास अधिकारी का पद पिछले 3 वर्षों से रिक्त है। ऐसा नहीं कि यहां पंचायत राज ने किसी अधिकारी को नही लगाया हो लेकिन हाल यह रहे कि जिस भी अधिकारी को लगाया गया वे अपनी राजनितिक व प्रशासनिक पहुंच के कारण यहां रुके ही नहीं जिस कारण कार्यवाहक के भरोसे ही शाहाबाद की पंचायत समिति का संचालन हो रहा है। झालावाड़ में बकानी का चार्ज भी झालरापाटन के विकास अधिकारी को व मनोहर थाना का अतिरिक्त विकास अधिकारी के भरोसे हैं।

-यहां इन अधिकारियों के पद रिक्त

सीईओ: अजमेर, झालावाड़

एसीईओ: बाडमेर, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, बैकानेर, दौसा, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालौर, करौली, नागोर, सवाईमाधोपुर, सिरोही व टोंक।

बीडीओ: पीसागंज, सावर, बानसूर, बहरोड, मुण्डावर, निमराणा, बागीदोरा, छोटी सरवन, गढ़ी, गुड़ा मालानी, नदबई, उच्चैन, जहाजपुर, कोटड़ी, माण्डल, सहाय, बेगू, भूपालसागर, बीदासर, चुरू, सरदारशहर, बेजूपाड़ा, बसव, लालसेट, बड़ी, राजखेडा, सेपऊ, सरमथुरा, बिछी, श्रीकरणपुर, नोहर, पीलीबंगा, पावटा, खचोर, बकानी, मनोहरथाना, ताले, शाहाबाद, बरा, चिब, झुन्झुनू, आऊ, बिलाडा, तिसरी, करोली, पासलपुर, नादौती, सपोटरा, डेगाना, नावं, नागोर, परबतसर, रानी स्टेशन, दलोट, धामोतर, पीपलखूंट, प्रतापगढ़, भीम, बामनवास, बोली, नीम का थाना, सीरोही, देवली, पालपुर, झल्लार व नयागांव।
(लेखक कई प्रमुख समाचार पत्रों के संवाददाता रहे हैं)

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