कोटा में होता है देश-दुनिया की दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण

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राजाराम जैन कर्मयोगी सपत्नीक श्राद्ध करते हुए।

-कृष्ण बलदेव हाडा –

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कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान के कोटा में एक स्वयंसेवी संगठन ऎसा भी है जो भाद्र मास में पूर्णिमा से शुरू होने वाले पितृपक्ष में देश-दुनिया के सभी दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण का आयोजन करता है।
कर्म योगी सेवा संस्थान पिछले 24 सालों से इस श्राद्ध-श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है और यह श्राद्ध तर्पण का काम कोटा में पवित्र चंबल नदी के तट पर पूर्णिमा से शुरू होकर अगले 16 दिन तक अनवरत जारी रहता है। इस 16 दिवसीय श्राद्ध-श्रद्धांजलि एवं आत्मशांति आहुति महायज्ञ महोत्सव में देश-दुनिया की दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए यज्ञ-तर्पण और प्रार्थना का आयोजन किया जाता है जिसकी शुरुआत कोटा में शुक्रवार को पूरे विधि-विधान के साथ पूर्णिमा के मौके पर हुई।
कर्मयोगी सेवा संस्थान के संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि विश्व के सभी दिवंगत जीव-जंतुओं की आत्मा की शांति की कामना के साथ उन्होंने 24 साल पहले वर्ष 2000 में इस आत्मशांति आहुति महायज्ञ की शुरुआत की थी, जिसके तहत श्राद्ध पक्ष के हर दिन विधि-विधान के साथ दिवंगत दिव्य आत्माओं की शांति के साथ देश एवं कोटा के समग्र विकास की मंगल कामना की जाती है। इस कार्यक्रम में कोई भी व्यक्ति अपने दिवंगत परिजनों का श्राद्ध-तर्पण कर सकता जिसकी सारी व्यवस्थाएं निशुल्क कर्मयोगी सेवा संस्थान अपने स्तर पर करता है।

संस्थापक श्री राजाराम एवं संस्थान की संयोजिका श्रीमती अलका दुलारी जैन कर्मयोगी ने बताया क्रियाकांडी पंडित लोकेश शुक्ला की अध्यक्षता एवं आचार्य विशाल शुक्ला प्रिंस शुक्ला ने कोटा के चम्बल नदी के तट पर स्थित किशोरपुरा मुक्तिधाम घाट पर प्रातः साढ़े 11 बजे से विधि विधान के साथ पूर्णिमा का श्राद्ध ,अंतर्राष्ट्रीय मानव कल्याणकारी दिवंगत दिव्य आत्माओं की शांति के साथ ही देश एवं कोटा के समग्र विकास एवं जनहित में जिन्होंने कार्य किया उन दिवंगत आत्माओं को समर्पित किया गया। आज श्राद्ध तर्पण करने में विशेष रूप से संस्थान कोटा उत्तर अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा,लक्ष्मी नारायण गर्ग, हेमंत सिंह, नरेंद्र सिंह जादौन, कमल सिंह सोलंकी, पं. जितेंद्र शर्मा, पं. मोहित शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस मौके पर संस्थान की ओर से कोटा शहरवासियों से भी अपील की गई है कि जो भी व्यक्ति अपने दिवंगत परिजनों के श्राद्ध तर्पण करना चाहे उनको संस्थान द्वारा श्राद्ध तर्पण सामग्री एवं पंडित की व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। वह सवेरे 11:30 बजे किशोरपुरा मुक्तिधाम पर कालाकोट हनुमान मंदिर के पास श्राद्ध तर्पण स्थल पहुंचे सकते हैं।
श्री राजाराम ने बताया कि 30 सितम्बर को एकम का श्राद्ध देश की सीमाओं पर नागरिकों की रक्षार्थ अब तक शहीद हुए सभी दिवंगत सैनिकों की आत्मा शांति हेतु समर्पित किए जाएंगे। एक अक्टूबर को द्वितीय का श्राद्ध समस्त जलचर थलचर और नभचर जीव जंतुओं पशु पक्षियों कीट पतंगो की आत्मा शांति के लिए समर्पित किया जाएगा। दो अक्टूबर सोमवार तृतीया का श्राद्ध तर्पण कानून की रक्षार्थ अब तक शहीद हुए पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों की आत्मा शांति के लिए समर्पित किया जाएगा। 3 अक्टूबर को चतुर्थी का श्राद्ध तर्पण न्याय की रक्षार्थ जीवन समर्पित करने वाले सभी दिवंगत विधि वेताओं की आत्म शांति हेतु समर्पित किया जाएगा। 4 अक्टूबर को पंचमी का श्राद्ध प्राकृतिक त्रासदी एवं मानवीय भूलों से हुई अकाल मृत्यु के दिवंगतों की आत्मा शांति हेतु समर्पित किया जाएगा। 5 अक्टूबर को छठवीं का श्राद्ध स्वतंत्रता संग्राम जलियांवाला बाग एवं अब तक दिवंगत हुए सभी स्वतंत्रता सेनानियों की आत्म शांति के लिए समर्पित किए जाएंगे। 6 अक्टूबर शुक्रवार सप्तमी का श्राद्ध अजन्मी कन्या एवं भ्रूण हत्या की त्रासदी के शिकार जिवंगत आत्माओं की शांति हेतु समर्पित किए जाएंगे।
श्री राजाराम ने बताया कि 7 अक्टूबर को अष्टमी का श्राद्ध विश्व में आतंकवाद सांप्रदायिक संप्रदायिकवाद धार्मिक उन्माद व्यक्तिगतवाद एवं साम्राज्यवादी षड्यंत्र के साथ ही दुर्घटनाओं के कारण हुए दिवंगतों की आत्मा शांति हेतु समर्पित होंगे। 8 अक्टूबर को नवमी का श्राद्ध विश्व विख्यात व्यक्तित्व की हत्या एवं आत्महत्या दुर्घटनाओं के कारण दिवंगत हुए उनको समर्पित किए जाएंगे। 9 अक्टूबर को दशमी का श्राद्ध विश्व के दिवंगत खिलाड़ियों चित्रकारों कलाकारों संगीतकारों को समर्पित किया जाएगा। 10 अक्टूबर मंगलवार एकादशी का श्राद्ध विश्व विख्यात प्रेरणा प्रदत दिवंगत महिलाओं की आत्मा शांति के साथ ही विशेष रूप से जौहर की ज्वाला में सतीत्व की रक्षा के लिए अपन प्राणों का बलिदान दिया उन सभी वीरांगनाओं को समर्पित किया जाएगा।
श्री राजाराम के अनुसार 11 अक्टूबर को द्वादशी का श्राद्ध दिवंगत साधु संन्यासियों को समर्पित किया जाएगा। 12 अक्टूबर को तेरस का श्राद्ध लावारिस एवं भुखमरी के कारण दिवंगत हुए उनकी आत्म शांति हेतु समर्पित किए जाएंगे। 13 अक्टूबर चौदस का श्राद्ध कोरोना महामारी के कारण दिवंगत हुए देश दुनिया के समस्त नागरिकों की आत्मा शांति हेतु किए जाएंगे। 14 अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध वह व्यक्ति जो आर्थिक अभाव में अपने दिवंगत परिजनों का श्राद्ध नहीं कर पाते उनका एवं समस्त भूली बिसरी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए किया जाएगा। इसी दिन शाम 6 बजे दीपदान के साथ 16 दिवसीय श्राद्ध श्रद्धांजलि महोत्सव का समापन कर दिया जाएगा
श्री राजाराम जैन का दावा है कि देश-दुनियां की सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण करने वाली कर्मयोगी सेवा संस्थान एकमात्र संस्थान है जो विगत 24 वर्षों से श्राद्ध तर्पण का कार्य करते आ रहे हैं। कोई भी नागरिक अपने दिवंगत परिजनों के श्राद्ध तर्पण करना चाहे तो संस्थान द्वारा उनके लिए सामग्री एवं पंडित की व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी।

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