
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। सरकार ने खरीफ़ के कृषि सत्र की मुख्य उपजों की सरकारी स्तर पर समर्थन मूल्य से खरीदने के लिए गुरुवार से ऑनलाइन पंजीयन का काम शुरू कर दिया, लेकिन कोटा संभाग के चारों जिलों में अभी तक अपेक्षित संख्या में किसानों ने अपना पंजीयन नहीं करवाया है जबकि संभाग में खरीफ के कृषि क्षेत्र में सोयाबीन और उड़द की आम तौर पर बंपर पैदावार होती है।
खुले बाजार में रेट ज्यादा
पर्याप्त संख्या में किसानों के सरकारी कांटो पर अपनी उपज की तुलाई करवाने के लिए ऑन लाइन पंजीयन करवाने के प्रति बेरूखी की मुख्य वजह सरकार का घोषित सरकारी समर्थन मूल्य है। किसानों के अनुसार यह समर्थन मूल्य किसानों की अपेक्षाओं के कतई भी अनुरूप नहीं है क्योंकि किसानों को जब वर्तमान में ही खुले बाजार की कृषि उपज मंडियों में आढ़तियों व व्यापारियों से सरकार के समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा या लगभग बराबर दाम अपनी उपज के मिल रहे हैं और वह भी हाथों-हाथ नगद में,तो किसान कम मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिए पहले ई-मित्र पर पंजीयन करवाने के लिए सरकारी कागजी खानापूर्ति करने के बाद में सरकारी कांटों पर लंबी कतार में लगकर अपनी उपज बेचने और अंततः चेक से भुगतान प्राप्त करने के झंझट में क्यों पड़े?
भाव बढ़ने की उम्मीद
किसानों का कहना है कि सरकारी स्तर पर खरीद के लिए घोषित समर्थन मूल्य सोयाबीन का 4300, उड़द का 6600, मूंग का 7755 और मूंगफली का 5850 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है जो किसानों की उम्मीद से काफी कम है। यही नहीं, किसानों को खरीफ़ के कृषि सत्र की इन उपजों का सरकारी समर्थन मूल्य से कहीं अधिक या लगभग इतना ही तो चारों जिलों कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ की मंडियों में अभी ही मिल रहा है। ऐसे में किसान सरकारी खरीद शुरू होने की प्रतीक्षा क्यों करें? बारां जिले की अटरू तहसील के दिलोद हाथी गांव के एक प्रगतिशील किसान राकेश चौधरी गुड्डू ने उदाहरण दिया कि मंडियों में अभी सोयाबीन का प्रति क्विंटल औसतन भाव पांच से साढ़े पांच हजार रुपए है जबकि दलहनी फसल उड़द का भाव साढ़े छह हजार रुपए प्रति क्विंटल से अधिक है जो घोषित समर्थन मूल्य से ज्यादा ही है।

राकेश चौधरी का यह भी कहना है कि चूंकि इस बार बेमौसम बरसात के कारण बारां जिले में खरीफ़ की लगभग सभी फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान होने से उपज कम हुई है,ऐसे में जब मंडियों में इन कृषि जिंसों की आवक कम होगी तो आने वाले दिनों में भाव बढ़ने की उम्मीद है। किसानों का कहना है कि बेमौसम बरसात से समूचे हाडोती अंचल में फसलों के व्यापक खराबे के कारण कम पैदावार होने से भी किसानों को खुले बाजार में ही मांग की तुलना में आवक कम होने से समर्थन मिलने से कहीं ज्यादा भाव मिल जाएंगे लेकिन किसान फिर भी आढतियों- व्यापारियों के हाथों शोषण का शिकार तो होगा ही क्योंकि खुले बाजार के भाव समर्थन मूल्य के समकक्ष या उससे थोड़े अधिक तो हो सकते है लेकिन किसानों की अपेक्षाओं के अनुरूप फिर भी नहीं होंगे।
किसानों को राहत देनी है तो समर्थन मूल्य ज्यादा रखे
किसानों का कहना है कि यदि राज्य सरकार पहले ही से बेमौसम की बरसात के कारण व्यापक पैमाने पर हुए सोयाबीन,धान,उड़द आदि फसलों के खराबे से आहत किसानों को राहत पहुंचाने की मंशा रखती है तो राज्य सरकार को सोयाबीन और उड़द सात-सात हजार रुपए,मूंग 9000 और मूंगफली का 6000 हजार रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए ताकि किसान अगले मुख्य कृषि सत्र रबी के लिये कम से कम सरसों,गेहूं, धनिए जैसी फसलों की बुआई के लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन तो जुटा सके। किसानों ने इस संदर्भ में यह भी बताया कि बीते साल भी कोटा संभाग में खरीद के मौसम की सबसे प्रमुख उपज माने जाने वाली सोयाबीन की सरकारी कांटे पर बिक्री नहीं हो पाई थी क्योंकि किसानों को समर्थन मूल्य से कंही अधिक दाम आढ़तियों-व्यापारियों से खुले बाजार में ही मिल रहे थे।
इसके अलावा किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य पर अपनी उपज को बेचकर उसका भुगतान हासिल करने से पहले तक की प्रक्रिया में कई सारी कागजी औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है जो आमतौर पर किसानों को काफी नागवार गुजरती है। जैसे किसी ई-मित्र केंद्र पर अपनी उपज को बेचने के लिए किसानों को जनआधार कार्ड नम्बर, खसरा गिरदावरी की प्रति एवं बैंक पासबुक की प्रति पंजीयन फार्म के साथ अपलोड़ करनी होगी। जिस किसान द्वारा बिना गिरदावरी के अपना पंजीयन करवाया जायेगा, उसका पंजीयन समर्थन मूल्य पर खरीद के लिये मान्य नहीं होगा। ई-मित्र केन्द्र को भी समर्थन मूल्य योजना में किसानों का पंजीयन पूर्ण सावधानी से करनी होगी और तहसील से बाहर पंजीयन नही करेंगे।
दूसरी तहसील में पंजीकरण मान्य नही
इसके अलावा किसान एक जनआधार कार्ड में अंकित नाम में से जिसके नाम गिरदावरी होगी,उसके नाम से एक पंजीयन करवा सकेगा। किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि जिस तहसील में कृषि भूमि में उसी तहसील के कार्यक्षेत्र वाले खरीद केन्द्र पर उपज बेचान के लिये पंजीकरण करावें। दूसरी तहसील में पंजीकरण मान्य नही होगा। किसानों को पंजीयन कराते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि पंजीकृत मोबाईल नम्बर से जनआधार कार्ड से लिंक हो जिससे समय पर तुलाई दिनांक की सूचना मिल सके। किसानों को प्रचलित बैंक खाता संख्या सही देनी होगी ताकि ऑनलाइन भुगतान के समय किसी प्रकार की परेशानी किसान को नहीं हो।
879 खरीद केन्द्रों पर खरीद
प्रदेश में राजफैड द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद के लिये ऑनलाइन पंजीकरण गुरूवार से शुरू हो चुकी है। 879 खरीद केन्द्रों पर मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की 1 नवम्बर से तथा 18 नवम्बर से मूंगफली खरीद की जाएगी। मूंग के लिए 363 उड़द के लिए 166 मूंगफली के 267 एवं सोयबीन के लिए 83 खरीद केन्द्र खोले गए हैं जिसमें से 419 केन्द्र क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर तथा 460 ग्राम सेवा सहकारी समितियों पर बनाए गए है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार द्वारा राजस्थान में समर्थन मूल्य पर मूंग का खरीद का लक्ष्य 3 लाख 2 हजार 745 मीट्रिक टन, उडद का 62 हजार 508 मीट्रिक टन, मूंगफली का 4 लाख 65 हजार 565 मीट्रिक टन तथा सोयाबीन का 3 लाख 61 हजार 790 मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया गया है। मूंग का समर्थन मूल्य 7755 रूपये,उडद का 6600, मूंगफली का 5850 एवं सोयाबीन का 4300 रूपये प्रति क्विंटल एफएक्यू श्रेणी का घोषित किया गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)
Kisano ka soya been bajar me kam ret me bik chuka hai bacha huaa Mal aadtiyo v yapariyo ka hai