कोटा। ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के महासचिव एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कोटा शहर में आवारा मवेशियों की वजह से हो रही दुर्घटनाओं और मौतों को लेकर मानवाधिकार आयोग जयपुर को पत्र लिखकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनके मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र…
माननीय अध्यक्ष महोदय ,
राज्य मानवाधिकार आयोग , राजस्थान
जयपुर राजस्थान ,
मान्यवर,
उपरोक्त विषय में लेख है कि राजस्थान में नगर पालिका क़ानून में , सड़कों पर आवारा जानवरों को पकड़ कर कांजी हाउस में रखने का क़ानून है। आवारा जानवरों से शहर की सड़के आवाजाही के लिए मुक्त रहेंगी , ऐसा क़ानून है। इस क़ानून के तहत, नगर निगम में कर्मचारी भी है , अतिरिक्त बजट भी हैं , उनके वेतन भत्ते भी हैं , गोशालाएं , कांजी हाउस भी हैं। इसी क्रम में , इस मामले में 23 जुलाई 1997 में राजस्थान हाईकोर्ट ने संजय फुफलियाँ बनाम ,स्टेट ऑफ़ राजस्थान में सुनवाई के बाद, सड़कों को आवारा जानवर मुक्त करने और ज़िम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने, 188 आई पी सी कार्यवाही के निर्देश भी दिए हैं । कोटा में , इस मामले ,में ह्यूमन रिलीफ सोसायटी की तरफ, से डॉक्टर सुधीर बनाम नगर निगम कोटा मामले में न्यायालय 4 उत्तर कोटा ने भी , 2020 में सड़कों पर आवारा जानवर, मवेशी , गांय , सांड, कुत्ते , सूअर , बदंरों को हटाने के निर्देश भी कोटा नगर निगम, कोटा पुलिस अधीक्षक, कोटा जिला कलेक्टर को दिए है , क्योंकि , पुलिस अधिनियम , केटल ट्रेस पास एक्ट , नगर पालिका क़ानून में यह इन अधिकारीयों , अधीनस्थों की ज़िम्मेदारी है , विधिक कर्तव्य है।
आदरणीय कोटा में केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने , इस मामले में , कोटा की सड़कों को , आवारा मवेशियों , या पालतू मवेशियों के सड़कों पर आवागमन की हिंसक व्यवस्था को देखकर , आम लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए , कोटा में , देवनारायण योजना लागु की है। जिसमे , कोटा शहर से अलग ,, पशु पालकों के लिए ,, अलग से रहवास के साथ , पशुपालन के लिए, कॉलोनी बनाई है, जिसमे रियायती दर पर उन्हें भूखंड दिए , सभी तरह की आधुनिक व्यवस्थाएं , सुविधाएं देकर, पशुपालकों को , पशुओं सहित , देवनारायण योजना में शिफ्ट कर दिया , और निर्देशित किया के सड़कों पर, आवारा जानवर हों , या फिर पालतू जानवर अगर नज़र आये तो कठोर कार्यवाही की जाए । लेकिन कोटा जिला प्रशासन , कोटा नगर निगम इस मामले में नाकारा साबित हुआ ,रोज़ मर्रा सड़कों पर , आवारा कुत्ते , आते जाते बच्चों , बुज़ुर्गों पर हमला कर उन्हें लहू लुहान कर रहे हैं। विज्ञाननगर सहित अन्य बस्तियों में अघोषित सूअर पालन केंद्र बने हुए है , जो हिंसक होकर , विज्ञाननगर सब्जीमंडी क्षेत्र में आते जाते लोगों पर हमला करते हैं। कोटा में नगर निगम के कर्मचारियों की लापरवाही , जिला प्रशासन की लापरवाही , कर्त्तव्यविहीनता की वजह से सड़कों पर आम आदमी का चलना, हिंसक कुत्ते , हिंसक , सूअर , हिंसक , गाँव , सांड की वजह से जानलेवा हो गया है। रोज़मर्रा घायल होने की खबर आम हो गयी है।
आदरणीय दिनांक 19 दिसम्बर को देवनारायण योजना के बाद , अधिकृत रूप से केटल फ्री शहर कोटा में , नगर निगम कोटा दक्षिण के कार्यक्षेत्र महापौर के खुद के इलाक़े कैथूनीपोल थानाक्षेत्र में एक शख्स महेश जी थानवार 61 वर्ष जो साबरमती कॉलोनी कोटा में निवासित था सुबह सवेरे मॉर्निंग वाक् को निकला। एक सांड अचानक आता है , इस मॉर्निंग वाकर को निशाना बनाता है। एक बार सींघ से उछाल कर फेंकता है , फिर दुबारा उछालता है , आंख्ने बाहर निकाल देता है। अड़ोस पड़ोस के लोग सांड को पत्थर मारकर भगाते हैं। सांड की मार से घायल महेश जी थानवार को अस्पताल ले जाते हैं , लेकिन इनकी मृत्यु हो जाती है। इस तरह से नगर निगम की व्यवस्था , प्रशासनिक अधिकारीयों की लापरवाही , कैटल फ्री कोटा शहर में , ज़िम्मेदारों की गैर ज़िम्मेदारी , कर्त्तव्यविहीनता की वजह से , मॉर्निंग वाकर निर्दोष की हत्यारी हो गयी। ऐसे लोगों के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही ज़रूरी है , मृतक के परिजनों को , मुआवज़ा मिला ज़रूरी है , भविष्य में सड़कों पर कुत्ते , सूअर , आवारा मवेशी उत्पात ना मचाएं इसके लिए एक गाइड लाइन और दोषी लोगों को सज़ा देने का प्रावधान होना चाहिए। इस घटना के मामले में भी दोषी लोगों के खिलाफ अनुशानात्मक , फौजदारी कार्यवाही कर सज़ा दिलवाने के निर्देश ज़रूरी हैं।
भवदीय
एडवोकेट अख्तर खान अकेला

महासचिव ह्यूमन रिलीफ सोसायटी
रशीदा मंज़िल 2 थ 15 मैन रोड बृजवासी मिष्ठान के पास
विज्ञाननगर कोटा 324005 मोबाईल 9829086339
कोटा शहर के सौंदर्यीकरण पर ७८० करोड़ के विकास कार्यों का दावा किया जा रहा है लेकिन आम आदमी की जान के दुश्मन आवारा पशुओं से शहर को मुक्त करने की दिशा में स्थानीय प्रशासन मंथर गति से कार्य कर रहा है. आवारा कुत्तों के काटने,गोवंश के हमलों से नागरिकों के घायल/मरने के समाचार सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन जिम्मेदार देखेंगे, कार्यवाही की जा रहू है,इस प्रकार की टिप्पणी करके इतिश्री कर लेते हैं. संवेदनहीन कोटा के नगर निगम नागरिकों को पशु से सुरक्षा भी मुहैया नहीं कर पा रहे हैं, इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है।