
-रामबाबू मालव-
कोटा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजय शक्ति संगम कार्यक्रम 5 अक्टुबर को विजयादशमी पर आयोजित किया गया। महानगर संघचालक गोपाल गर्ग ने बताया कि कार्यक्रम के तहत कोटा शहर में तीन स्थानों से एक साथ पथ संचलन निकाले गए। पथ संचलन धार का अखाड़ा, किशोरपुरा तालाब और नेहरु पार्क खेरली फाटक से शुरु हुए। जिसके लिए स्वयंसेवक प्रातः 7.15 पर नियत स्थान पर जुटे।

उन्होंने बताया कि केशव प्रवाह का संचलन प्रातः 8.15 पर धार का अखाडा, किशोरपुरा से प्रारंभ हुआ। जो साबरमती कॉलोनी, केथूनीपोल, लाल बुर्ज, सुभाष चौक, चार खंभा, रामपुरा कोतवाली, विक्रम चौक, लाड़पुरा, खाई रोड, विवेकानंद चौराहा, नयापुरा स्थित नवल सर्किल पहुंचा। वहीं माधव प्रवाह का पथ संचलन किशोर सागर तालाब की पाल से प्रातः 8.28 बजे रवाना हुआ। जो समता भवन, जयपुर गोल्डन, गांधी चौक होता हुआ रामपुरा पहुंचा। जहाँ 8 बजकर 40 मिनट पर केशव प्रवाह में विलीन हो गया। उन्होंने बताया कि मधुकर प्रवाह का पथ संचलन नेहरू पार्क खेरली फाटक से प्रातः 8.25 बजे शुरु हुआ। जो गांवडी मोड, सिविल लाइन, दोस्तपुरा, बृजराज भवन, बग्घी खाना, खरोलीवाल हॉस्पिटल, सूचना भवन, ग्लोब सर्किल होते हुए नयापुरा स्थित नवल सर्किल पर केशव -माधव प्रवाह के साथ मिल गया। इसके बाद तीनों प्रवाह विजय शक्ति संगम करते हुए अदालत चौराहे से बृजराज गार्डन पहुंचे।

स्वयंसेवक पथ संचलन में काली टोपी, सफेद शर्ट, बेल्ट, पेंट, मौजे, काले जूते और दंड लेकर पूर्ण गणवेश में उपस्थित रहे। संचलन के दौरान सभी कार्यकर्ता कदम से कदम मिलाकर चलें। वहीं आणक, झांझ, वंशी, समेत घोष के विभिन्न वाद्य यंत्रों की मधुर स्वर लहरियां भी गूंजी। हिंदू समाज के प्रबुद्ध जनों मातृ शक्तियों तथा समाज के सभी वर्गों के द्वारा बड़े उत्साह के साथ जगह- जगह इस त्रिवेणी संचलन का पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया। नगर वासियों में उत्साह देखते ही बन रहा था बच्चे बूढ़े नौजवानो के द्वारा लगाए गए भारत माता की जय ,वंदे मातरम जय श्री राम, आदि के उद्घोष के द्वारा सारा वातावरण गुंजायमान हो गया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, के स्थापना दिवस एवं विजयादशमी उत्सव मनाया गया। त्रिवेणी संगम के बाद विजयादशमी उत्सव में मंचासीन कोटा विभाग के संघचालक पन्नालाल जी, मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा एवं हाड़ौती के सिरमौर कवि दुर्गादान सिंह गौड, मुख्य वक्ता प्रांत के पर्यावरण संयोजक कार्तिकेय नागर ने कहा कि – त्रेता युग में भगवान श्री राम ने अत्याचारी रावण का वध आज के ही दिन किया था। राक्षस ऋषियो द्वारा किए गए यज्ञ को नष्ट कर देते थे अर्थात सनातन संस्कृति को क्षति पहुंचाते थे । भारतीय संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन संस्कृतियों में एक हैं हमारी संस्कृति धर्म सहज सुलभ व सरल है प्राणी मात्र पर दया का भाव बनाने वाले व उसका पालन पोषण करने वाली है। हमारी सनातन संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है नासा ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि रामसेतु 17 लाख वर्ष से अधिक पुराना है और मानव द्वारा निर्मित है इससे हमारी ऐतिहासिकता प्रमाणित होती है। आज संपूर्ण विश्व भारत की ओर देख रहा है क्योंकि वह जानता है कि भारतीय संस्कृति ही विश्व में शांति व बंधुत्व की भावना बना सकती है। हम शस्त्र और शास्त्र दोनों को धारण करने वाले हैं यदि शस्त्र से काम नहीं चले तो शास्त्र का उपयोग करना भी आना चाहिए। इसलिए आज के दिन शस्त्र पूजन हमारी परंपरा रही है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति निर्माण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी कार्य कर रहा है, पर्यावरण संरक्षण के बिना प्राणियों की रक्षा संभव नहीं है

















